नमस्कार साथियों, आज इस नए लेख में हम आपको दो मछुआरों की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं। जिससे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा तो अगर आप इस कहानी से कुछ सीखना चाहते हैं तो आप इसको पूरा जरूर पढ़ें तो चलिए शुरू करते हैं।
दो मछुआरे की कहानी | मछली पकड़ने वाले मछुआरे
दोस्तों कई बार हम अपनी जिंदगी में आने वाली अवसर को और छोटे छोटे मोको को गवां लेते हैं। एक बार ऐसे ही कुछ हुआ नदी किनारे मछली पकड़ रहे 2 लोगों के साथ दोनों बड़े जोश मे थे। और जल्दी से जल्दी कोई मछली पकड़ना चाहते थे।
दोनों मछुआरों ने नदी में अपना कांटा फेंका और मछली के फसने का इंतजार करने लगे। दोनों ने एक दूसरे को देखा। और फिर से नदी की तरफ आंखें पसारे मछली फसने का इंतजार करने लगे।
अभी कुछ देर हुई थी कि पहले आदमी के कांटे में एक बड़ी सी मछली फस गई और वह उसे देखकर बहुत खुश हुआ। उसने दूसरे मछुआरे की तरफ देखते हुए अपनी खुशी जाहिर की और अपने पास रखे एक बड़े से डिब्बे में उस मछली को रख दिया।
फिर से एक कांटा नदी में फेंका और कुछ देर बाद उसके काटें में छोटी-छोटी मछलियां भी फस गई। और वह बहुत खुश हुआ। उसने अपनी सारी मछलियां अपने उस डिब्बे में रखी। ओर अभी तक दूसरे आदमी के कांटे में एक भी मछली नहीं।
तो ये देख कर पहली मछुआरे ने उससे कहा कि मैं तुम्हारी कुछ मदद कर देता। लेकिन उस दूसरे मछुआरे ने बिल्कुल मना कर दिया। कुछ ही देर में दूसरे मछुआरे के कांटे में भी एक बड़ी सी मछली फसी। अब उसने थोड़ी देर तक उस मछली को देखा और फिर से उसे नदी में फेंक दिया। यह देखकर पहला मछुआरा हेरान तो हुआ है। लेकिन उसने कुछ कहा नहीं।
अब देखते देखते उस दूसरे मछुआरे के कांटे में और भी मछलियाँ फसी कई तरह की बड़ी मछलियाँ फसी। लेकिन वह फिर से ऐसा ही करता है। ओर वो उस मछली को ध्यान से देखता। ओर फिर नदी की ओर फेक देता। अब ये सब पहले मछुवारे से देखा नहीं गया। तो उसने उससे पूछ ही डाला।
की जब तुम्हारे कांटे में मछली फस रही है। तो तुम उसे फिर से नदी में क्यों फेंक रहे। और तुम यहां पर अपना टाइम वेस्ट क्यों कर रहे हो। तो उस दूसरे मछुआरे ने कहा कि वह सारी मछलियाँ बड़ी थी। और मेरे पास कोई भी बड़ा बर्तन नहीं है। उन्हें पकाने के लिए।
इसलिए मैं उन्हें नदी में फेंक रहा हूं। मैं कोई छोटी सी मछली की तलाश में हूं। जो मेरे बर्तन में आसानी से आ जाए। और मैं उसे आसानी से पका सकू। तो उसका जवाब सुनकर पहला मछुआरा हंसा। ओर उसे सलाह दी। दोस्त अगर तुम्हारे पास बड़ा बर्तन नहीं है तो तुम बड़ी मछली को काटकर भी पका सकते हो।
दो मछुआरे की कहानी से हमें मिलने वाली शिक्षा
तो हम में से ज्यादातर लोग दूसरे मछुआरे की तरह होते हैं। एक बड़ा सा लक्ष्य हासिल करने की जिद में हम अपने रास्ते में आए हुए छोटे-छोटे मोके ओर अवसरों को देख नहीं पाते। कई बार हमे ये छोटे छोटे मोके हमे बड़े लक्ष्य की तरफ ले जाते हैं।
तो हमे अपनी जिंदगी में आने वाले हर मौके ओर अवसर को खुशी से स्वीकार करने की जरूरत है। हो सकता है यही छोटे-छोटे मोके आपको आपके बड़े लक्ष्य की तरफ लेकर जाए और हमेशा याद रखें की सपने आपके हैं तो पूरे भी आप ही करोगे।
नहीं कभी हालात और ना ही कभी भी लोग आपके हिसाब से होंगे और मैं हमेशा आपसे एक ही बात कहता हूं। आप अपनी जिंदगी में सब कुछ हासिल कर सकते हैं। आप हर वह चीज हासिल कर सकते हैं जो आप चाहते हैं। और मुझे आपके सपनों पर यकीन है।