हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको विद्युत विभव के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
विद्युत विभव के बारे में
विद्युत विभव electric potential in hindi दो आवेशित चालकों को धात्विक तार द्वारा आपस में जोड़ने से या उन्हें परस्पर संपर्क में रखने से उनके बीच इलेक्ट्रॉन का प्रवाह की दिशा की व्याख्या करने के लिए विद्युत विभव की अवधारणा की जाती है।
धनावेशित चालक का विद्युत विभव धनात्मक या उच्च तथा ऋणावेशित चालक का विद्युत विभव ऋणात्मक या निम्न माना जाता है। तब हम कहते हैं कि दो चालकों को जोड़ने या परस्पर संपर्क में रखने पर इलेक्ट्रॉन का प्रवाह ऋणात्मक या निम्न विभव से धनात्मक या उच्च विभव की ओर होता है।
यह प्रवाह तब तक होता है जब तक कि दोनों चालकों का विभव समान नहीं हो जाता है। इस प्रकार, किसी चालक का विद्युत विभव उसकी वह विद्युत अवस्था है, जो किसी अन्य चालक से जोड़ने पर आवेश प्रवाह की दिशा बताती है।
भौतिक अर्थ
हम जानते हैं कि द्रव का प्रवाह सदैव ऊंचे तल से नीचे तल की की ओर होता है जैसा कि आप चित्र में देख रहे होंगे कि दो बर्तनों A व B का संबंध एक नली व टोंटी T के द्वारा किया गया है। बर्तन A में पानी की मात्रा B से अधिक है, परंतु बर्तन B का आकार पतला होने के कारण इसमें पानी का तल, बर्तन A में पानी के तल से ऊंचा है।
टोंटी खोलने पर हम देखते हैं कि पानी, बर्तन B में से बर्तन A में आता है। इसका कारण यह है कि पानी के बहाने की दिशा, पानी के तल की ऊंचाई अर्थात दाब पर निर्भर करती है। पानी अधिक दाब के क्षेत्र अर्थात ऊंचे तल से कम दाब के क्षेत्र अर्थात नीचे तल की ओर तब तक बहता है जब तक कि दोनों बर्तन में पानी का तल समान ऊंचाई तक नहीं हो जाता है, अर्थात पानी के बहने की दिशा बर्तन में पानी की कुल मात्रा पर निर्भर नहीं करती है।
विद्युत विभव की माप
जिस प्रकार ऊंचाई, समुद्र तल से नापी जाती है, उसी प्रकार किसी आवेशित वस्तु का विभव पृथ्वी के विभव को शून्य मानकर नापा जाता है। पृथ्वी एक बहुत बड़ा चालाक है। जिसको यदि थोड़ा आवेश दे दिया जाये या उससे कुछ आवेश ले लिया जाये, तो भी उसका विभव उतना ही रहता है।
जिस प्रकार कि समुद्र में जल की कुछ बूंदें डाल दी जाये या समुद्र से जल की कुछ बूंदें ले ली जाये, तो उसके तल की ऊंचाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। जिस वस्तु पर धनावेश होता है, उसका विभव धनात्मक अर्थात् शून्य से अधिक होता है तथा जिस वस्तु पर ऋणावेश होता है, उसका विभव ऋणात्मक अर्थात् शून्य से कम होता है।
विमीय सूत्र- स्पष्ट है कि विभव का मात्रक = कार्य का मात्रक/आवेश का मात्रक। अतः विभव का S.I. मात्रक जूल/कूलाम है। इसे वोल्ट (volt) भी कहते हैं, अर्थात् 1 वोल्ट =1 जूल/कूलाम। मात्रक वोल्ट को संकेत के रूप में V लिखते हैं।
इलेक्ट्रॉन का प्रवाह अनावेशित चालक से धनावेशित चालक की ओर
एक धनावेशित चालक A को एक अनावेशित चालक B से एक धात्विक तार द्वारा जोड़ा गया है। चूंकि धनावेशित चालक में इलेक्ट्रॉन की कमी होती है, अतः इलेक्ट्रॉनों का प्रभाव अनावेशित चालक B से धनावेशित चालक A की ओर होता है। यह प्रवाह तब तक जारी रहता है जब तक कि दोनों चालकों में इलेक्ट्रॉनो की संख्या समान नहीं हो जाती है।
इलेक्ट्रॉन का प्रवाह ऋणावेशित चालक से अनावेशित चालक की ओर
एक ऋणावेशित चालक A को एक अनावेशित चालक B से एक धात्विक तार द्वारा जोड़ा गया है। चूंकि ऋणावेशित चालक में इलेक्ट्रॉनों की अधिकता होती है, अतः इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह ऋणावेशित चालक A से अनावेशित चालक B की ओर होता है जिससे कि दोनों चालकों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान हो जाये।
इलेक्ट्रॉन का प्रवाह ऋणावेशित चालक से धनावेशित चालक की ओर
एक धनावेशित चालक A को एक ऋणावेशित चालक B से एक धात्विक तार द्वारा जोड़ा जोड़ा जाये तो इलेक्ट्रॉन का प्रवाह ऋणावेशित चालक B जिसमें इलेक्ट्रॉनों की अधिकता है, से धनावेशित चालक A जिसमें इलेक्ट्रॉनों की कमी है, कि ओर होगा जिससे कि दोनों चालकों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान हो जाये।