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फ्रांस में क्रांति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई?

फ्रांस में क्रांति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई?

फ्रांसीसी क्रांति 5 मई, 1789 ईस्वी में हुई, जिसने शीघ्र ही भीषण रूप धारण कर लिया। आंध्रा फ्रांस में निरंकुश राजतंत्र का अंत करके लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना की गई। इस क्रांति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे। 

राजनीतिक कारण

फ्रांस के शासक स्वेच्छाचारी और निरंकुश थे। वे राजा के देवी अधिकारों के सिद्धांत में विश्वास करते थे। अतः वे प्रजा के सुख दुख हित हित की कोई चिंता ना कर के अपनी इच्छा अनुसार कार्य करते थे। वे जनता पर नये कर लगाते रहते थे। और कर के रूप में वसूले गए धन को मनमाने ढंग से विलासिता के कार्य पर व्यय करते थे। संपूर्ण देश के लिए एक समान कानून व्यवस्था भी नहीं थी। इस प्रकार फ्रांस की जनता शासकों की निरंकुशता से बहुत श्रस्त थी।

फ्रांस के शासक स्वेच्छाचारी और निरंकुश थे। वे राजा के देवी अधिकारों के सिद्धांत में विश्वास करते थे। अतः वे प्रजा के सुख दुख हित हित की कोई चिंता ना कर के अपनी इच्छा अनुसार कार्य करते थे। वे जनता पर नये कर लगाते रहते थे।

सामाजिक कारण

फ्रांस में क्रांति से पूर्व बहुत बड़ी सामाजिक समानता थी।पुरोहित तथा कुलीन श्रेणी के लोगों का जीवन बहुत विलासी था तथा उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त थे। इसके विपरीत किसानों तथा मजदूरों का जीवन नारकीय था। वी विभिन्न प्रकार के करो व बेगार के भोज के नीचे पीस रहे थे। समाज में बुद्धिजीवी वर्ग अर्थात वकील, डॉ अध्यापक आदि का सम्मान नहीं था।अतः फ्रांस की मध्यवर्गीय धनी एवं शिक्षित जनता कुलीन वर्ग के लोगों तथा चर्च के उच्च अधिकारियों से सदैव द्वेष रखती थी। अतः क्रांति प्रारंभ होते ही तृतीय वर्गी संपूर्ण जनता ने इनका भरपूर समर्थन किया।

दर्शनीको तथा लेखकों के विचारों का प्रभाव

फ्रांस जैसी दशा यूरोप के लगभग सभी देशों में थी। फ्रांस की दर्शनी को और लेखकों के क्रांतिकारी विचारों के परिणाम स्वरुप फ्रांस में ही सबसे पहले क्रांति हुई। फ्रांस के लेखकों एवं दार्शनिकों के विचारों में राज्य के खिलाफ क्रांति की भावना का बीजारोपण किया। इनमें मांटिसक्यू, वॉल्टेयर,पुरुषों में विद्रोह आदि दर्शनी को ने फ्रांस की क्रांति को जन्म देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आर्थिक कारण

फ्रांस द्वारा अनेक युद्धों में भाग लेने के कारण उसकी आर्थिक दशा अत्यंत दयनीय हो चुकी थी। राज दरबार की शान शौकत एवं उच्च श्रेणी के व्यक्तियों की व्यस्तता के कारण साधारण जनता पर अनेक प्रकार के कर लगाए जाते थे और उनकी वसूली निर्दयता पूर्वक की जाती थी। ब्रांच ने उच्च वर्ग और पादरी करो का भार वहन करने में समर्थ, परंतु उन्हें करो से मुक्त रखा गया। इस प्रकार दयनीय आर्थिक दशा भी फ्रांस की क्रांति का एक बड़ा कारण बनी।

तात्कालिक कारण

फ्रांस की क्रांति का तात्कालिक कारण स्टेटस जनरल का अधिवेशन बुलाया जाना था। लुई 16 नेदेश की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वित्त मंत्री के लोन के परामर्श से जनता पर नए कर लगाने का निश्चय किया, क्योंकि यह संस्था ही नहीं कर प्रस्तावों को पारित कर सकती थी। 4 मई 1789 ईस्वी को स्टेटस जर्नल के अधिवेशन की तिथि निर्धारित की गई। किंतु फ्रांस में तो क्रांति का बारूद तैयार हो चुका था।अतः उसने स्टेटस जनरल के अधिवेशन में चिंगारी का काम किया और 5 मई 1789 ईस्वी को क्रांति का विस्फोट हो गया।