- मोहनजोदड़ो सभ्यता क्या है?
- मोहनजोदड़ो सभ्यता की खोज
- मोहनजोदड़ो सभ्यता की उन्नत जीवन शैली
- मोहनजोदड़ो सभ्यता की वाटरप्रूफ ईंटें
- मोहनजोदड़ो सभ्यता में पाए जाने वाले कुएं
- मोहनजोदड़ो के लोगों के स्वच्छता से रहने के सबूत
- मोहनजोदड़ो सभ्यता की भाषा का रहस्य
- मोहनजोदड़ो सभ्यता का महान स्नान
- मोहनजोदड़ो सभ्यता के भगवान का रहस्य
- मोहनजोदड़ो सभ्यता की चिकित्सा विज्ञान में उपलब्धि
- मोहनजोदड़ो सभ्यता के रहस्यमय प्रतीक
- मोहनजोदड़ो सभ्यता के बाढ़ नियंत्रण के तरीके
- हड़प्पा सभ्यता का जल संरक्षण
- मोहनजोदड़ो सभ्यता की उन्नत कला तकनीक
- मोहनजोदड़ो सभ्यता की व्यापार और अर्थव्यवस्था
- हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सभ्यता के गायब होने का रहस्य
मेरी वेबसाइट पर आपका स्वागत है, मैंने इस पोस्ट के द्वारा आपको बताया है, मोहनजोदड़ो सभ्यता के इतिहास के बारे में संपूर्ण जानकारी, आप जानकारी पाना चाहते हैं, तो इस पोस्ट को पूरा पढ़िए।
मोहनजोदड़ो सभ्यता क्या है?
हड़प्पा सभ्यता से जुड़े कई तथ्य आपने सुने होंगे, एक ऐसी सभ्यता जहां के लोगों ने हजारों साल पहले आश्चर्यजनक तरीके से जिंदगी जीने के तरीके खोज लिए थे।
हड़प्पा सभ्यता का एक शहर मोहनजोदड़ो, वो शहर जहां हजारों साल पहले ऐसो आराम की हर वस्तुएं मौजूद थी। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि ये सभ्यता दुनिया के नक्शे से अचानक गायब हो गई।
मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता का एक प्रमुख शहर था जो आज के पाकिस्तान में सिंध प्रांत में सिंधु नदी के किनारे करीब 5 किलोमीटर इलाके में बसा था।
करीब 4 हजार साल पुराने इस शहर की खोज आज से 100 साल पहले हुई थी। 19 वी सदी से लेकर अब तक हड़प्पा सभ्यता की सैकड़ों जगहों का पता लगाया जा चुका है, इन्हीं में से एक है, मोहनजोदड़ो।
यहां खोजकर्ताओं ने कई सालों तक काम करके जमीन के नीचे से पूरा शहर खोज निकाला और यहां कई जगहों पर कंकाल मिले, इसलिए इस शहर को मोहनजोदड़ो कहा जाने लगा।
हड़प्पा सभ्यता के बारे में दुनिया बहुत कम जानती है, लेकिन जो कुछ भी जानती है, वो बेहद हैरान कर देने वाला है। आज की इस पोस्ट में हम आपको इस सभ्यता से जुड़े कुछ ऐसे ही तथ्य बताने वाले हैं जो आपको हैरान कर देंगे।
मोहनजोदड़ो सभ्यता की खोज
सन् 1856 में एक अंग्रेज इंजीनियर जो इस इलाके में रेलवे ट्रैक बनाने के काम में जुटा था, उसे यहां जमीन में धंसी कई पुराने ईंटें मिली, जो दिखने में बिल्कुल आज की ईंटों जैसी थी, लेकिन काफी मजबूत थी।
जब पास के गांव के एक आदमी ने उसे बताया कि उस गांव का हर घर इन्हीं ईंटों से बना है, जो यहां जमीन की खुदाई करने पर मिलती है। तभी वो अंग्रेज यह समझ गया कि ये ईटें मामूली ईंटें नहीं है, तब पहली बार चार्ल्स मेसन ने सन् 1942 में हड़प्पा सभ्यता की खोज की। इसके बाद दयाराम साहनी ने हड़प्पा सभ्यता की आधिकारिक खोज की।
मोहनजोदड़ो सभ्यता की उन्नत जीवन शैली
मोहनजोदड़ो में लोगों के रहने का तरीका सबसे हैरान कर देने वाला है। मोहनजोदड़ो हजारों साल पहले तब के यूरोप और अमेरिका से भी ज्यादा विकसित था।
मोहनजोदड़ो शहर पूरे 500 एकड़ में फैला था जो उस वक्त के शहर के हिसाब से काफी बड़ा आकार का था। यहां मिले अवशेषों से पता चलता है कि एक बड़े से दरवाजे से शहर का रास्ता खुलता था।
मोहनजोदड़ो सभ्यता की वाटरप्रूफ ईंटें
यहां कुछ ऐसे बड़े घर भी मिले हैं, जिनमें 30 कमरे तक होते थे। यहां घर बनाने के लिए जिन ईंटों का इस्तेमाल किया गया था वो कोई आम ईंटे नहीं थी, बल्कि वाटरप्रूफ ईंटें थी।
मोहनजोदड़ो सभ्यता के स्नान घरों और नालियों में जो ईंटें इस्तेमाल हुई थी, उन पर जिप्सम और चारकोल की पतली परत चढ़ाई गई थी। चारकोल की परत किसी भी हालत में पानी को बाहर नहीं निकलने देती थी, इससे यह पता चलता है कि मोहनजोदड़ो के लोग चारकोल जैसे तत्व के बारे में भी जानते थे, जिसे वैज्ञानिकों ने कई सालों बाद खोजा था।
मोहनजोदड़ो सभ्यता में पाए जाने वाले कुएं
माना जाता है कि दुनिया को कुएं की देन हड़प्पा सभ्यता ने ही दी थी। इस शहर में 700 से ज्यादा कुए होने के सबूत मिले हैं।
यहां खुदाई में कई ऐसी चीजें मिली है, जिससे ये समझा जाता है कि इस सभ्यता के लोग तंत्र मंत्र में भी काफी विश्वास रखते थे।
मोहनजोदड़ो के लोगों के स्वच्छता से रहने के सबूत
मोहनजोदड़ो शहर कोई सामान्य शहर नहीं था। इस शहर में बड़े-बड़े घर और चौड़ी सड़कें और बहुत सारे कुएं होने के प्रमाण मिलते हैं।
आप ये जानकर और भी चौक जाएंगे कि इस शहर में पानी और गंदगी निकालने के लिए नालिया तक बनाई गई थी। यहां के लोग स्वच्छता के मामले में इतने जागरूक थे, जितने शायद आज के लोग भी नहीं है।
आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे की हजारों साल पुरानी इस सभ्यता के हर घर में बाथरूम और टॉयलेट हुआ करता था और टॉयलेट भी ऐसा है जिसे आज हम वेस्टर्न टॉयलेट कहते हैं।
मोहनजोदड़ो सभ्यता की भाषा का रहस्य
मोहनजोदड़ो का एक रहस्य ऐसा है जो आज तक कभी सुलझ नहीं पाया, वो यह है कि यहां से खुदाई में निकली वस्तुओं पर कौनसी लिपि की बनावट हुई है वैज्ञानिक आज तक समझ नहीं पाए हैं।
अगर मोहनजोदड़ो सभ्यता की भाषा वैज्ञानिकों को समझ में आ जाए तो यहां छुपे हजारों साल पुराने कई राज सामने आ सकते हैं।
मोहनजोदड़ो सभ्यता का महान स्नान
मोहनजोदड़ो में एक बहुत बड़ा स्विमिंग पूल खोजा गया है, जिसका आकार 900 स्क्वायर फीट था। इसे ग्रेट बाथ नाम दिया गया।
मोहनजोदड़ो में पाए जाने वाले स्विमिंग पूल को एक ऐसी टेक्निक से बनाया गया था, जिसके तहत इसमें सिंधु नदी का पानी भरा जाता था।
दुनिया का सबसे मशहूर रोमन बाथ, जिसे काफी पुराना और ऐतिहासिक माना जाता है, जिसे हड़प्पा सभ्यता के सैकड़ों साल बाद बनाया गया था।
मोहनजोदड़ो सभ्यता के भगवान का रहस्य
मोहनजोदड़ो में किसी भी मंदिर के कोई भी अवशेष नहीं मिले थे, लेकिन यहां मिले एक शील पर 3 मुख वाले देवता की मूर्ति मिली है जिसके चारों ओर हाथी, गैंडा, चीता और भैंसा है।
सबसे पहले सृष्टि के निशान मोहनजोदड़ो में ही मिले थे और यहां असंख्य देवियों की मूर्तियां भी मिली है। इसका मतलब है कि मोहनजोदड़ो के लोग मूर्ति पूजा में विश्वास रखते थे।
हैरान करने वाली बात तो यह है कि यहां देवियों की मूर्तियों के अलावा सिर्फ एक शिवलिंग मिला है, जो इतिहासकारों के अनुसार 5 हजार साल से भी पुराना है।
मोहनजोदड़ो सभ्यता की चिकित्सा विज्ञान में उपलब्धि
मोहनजोदड़ो की खुदाई में मिले कुछ कंकालों के दातों का निरीक्षण जब किया गया, तो एक चौंकाने वाली बात सामने आई कि वे लोग आज की ही तरह नकली दांतों का भी इस्तेमाल करते थे। इसका मतलब ये हुआ कि हड़प्पा सभ्यता में चिकित्सा पद्धति भी काफी हद तक विकसित थी।
मोहनजोदड़ो सभ्यता के रहस्यमय प्रतीक
सन् 1999 यहां एक हैरान कर देने वाली खोज हुई। शोधकर्ताओं की कई घंटों की मेहनत के बाद यहां की जमीन में मिट्टी के नीचे दबे उस वक्त की लिपि के कुछ अक्षर व चिन्ह मिले, जिसकी जांच करने के बाद यह पता चला कि यह एक लकड़ी का बड़ा बोर्ड हुआ करता था।
जो इस शहर के मुख्य दरवाजे के ऊपर लगाया जाता था, लेकिन दुर्भाग्य से खोजकर्ता उनकी लिपि को समझ नहीं सकते हैं। जिस दिन उस लिपि की लिखावट समझ में आ जाएगी, उस दिन मोहनजोदड़ो का सबसे बड़ा राज सामने आयेगा।
मोहनजोदड़ो सभ्यता के बाढ़ नियंत्रण के तरीके
मोहनजोदड़ो सभ्यता के लोग कितने विकसित थे, इसका एक और उदाहरण यह है कि उस समय इन लोगों ने अपने शहर को बाढ़ के पानी से बचाने के लिए शहर के बाहर एक बड़े बांध का निर्माण किया था। बाढ़ के पानी को वो लोग छोटे-छोटे टैंक में जो शहर के चारों बनाये गए थे, उसमें जमा करते थे।
इस बाढ़ के पानी का इस्तेमाल पूरा शहर तो करता ही था, बल्कि पूरे साल भर वह लोग खेतो के लिए भी इस पानी का इस्तेमाल करते थे।
आज के समय में इस जगह के गांवों में बारिश के मौसम में पूरा पानी भर जाता है। लेकिन आज से 4 हजार साल पहले यहां रहने वाले लोगों ने इसका हल निकाल लिया था।
हड़प्पा सभ्यता का जल संरक्षण
आज हमारे कुछ शहरों में गर्मी के मौसम में पानी की समस्या रहती है और इसके बावजूद हम बारिश के पानी को इकट्ठा करके उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं।
मोहनजोदड़ो में खोजकर्ताओं कुछ ऐसे स्ट्रक्चर की खोज की है, जिससे यह पता चला है कि मोहनजोदड़ो सभ्यता के लोग बारिश का पानी इकट्ठा करके उसका इस्तेमाल करते थे।
मोहनजोदड़ो सभ्यता की उन्नत कला तकनीक
यहां के लोग लोहे, तांबे, पीतल और लकड़ियों के आभूषण और हथियार और सोने की कलाकृतियां बनाने में माहिर थे और यहां भारी मात्रा में सिक्के मिले हैं जो मिट्टी के थर पर एक खास तरह के सांचे से बनाए जाते थे।
आज के कई सारे आधुनिक खिलौने भी यहां खुदाई में मिले हैं, जो मिट्टी के बने थे और मोहनजोदड़ो सभ्यता के लोग शतरंज जैसे खेल भी खेलते थे।
मोहनजोदड़ो सभ्यता की व्यापार और अर्थव्यवस्था
मोहनजोदड़ो में व्यापार बड़े पैमाने पर होता था, उन दोनों कोई भी मुद्रा नहीं चलती थी, बल्कि चीजों की अदला-बदली से व्यापार होता था।
हड़प्पा सभ्यता के लोग समुद्र के रास्ते दूसरे देशों से भी व्यापार करते थे और उसके सबूत अबू धाबी में मिले हैं।
अबू धाबी में खोजकर्ताओं को एक कुआं मिला है और इस कुएं में हड़प्पा सभ्यता से जुड़ी कुछ वस्तुएं भी मिली है, जो दिखाती है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग समुद्री मार्ग में 3500 किलोमीटर दूर तक का सफर तय करते थे।
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सभ्यता के गायब होने का रहस्य
यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है कि हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सभ्यता का अंत कैसे हुआ था।
वैज्ञानिकों ने यहां मिली कुछ वस्तुओं की कार्बन डेटिंग के बाद कुछ तत्व सामने रखे हैं और इससे यह पता चलता है कि मौसम में आया बड़ा बदलाव इस सभ्यता के विलुप्त होने की बड़ी वजह थी।
वहां की नदियों ने धीरे-धीरे अपनी धाराएं बदल दी और पानी की भयंकर कमी हो गई, साथ ही खराब मानसून इस सभ्यता के लिए कई मुसीबतें लेकर आ गया और ये सभ्यता विलुप्त हो गई।
मोहनजोदड़ो वह सभ्यता थी जो अगर विलुप्त ना होती तो इंसान आज और भी तरक्की कर चुका होता।
अंतिम निष्कर्ष– मुझे उम्मीद है, आपको मेरे द्वारा बताई गई मोहनजोदड़ो सभ्यता के इतिहास के बारे में संपूर्ण जानकारी पसंद आई होगी।
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