जीवों के वर्गीकरण से लाभ या महत्त्व के वर्गीकरण से निम्नलिखित लाभ हैं-
- अध्ययन में सहायक – किसी वर्ग या संघ के एक जीवधारी का अध्ययन कर लेने से उस समूह के अन्य जीवधारियों के बारे में सुगमता से अनुमान लगाया जा सकता है।
- विकास क्रम का ज्ञान – वर्गीकरण में जीवधारियों को उनके गुणों की जटिलता के आधार पर रखा गया है। इससे उनके विकास का क्रम ज्ञात हो जाता है। जैसे – कॉडेटा के अन्तर्गत मत्स्य, जलस्थलचर सरीसृप, पक्षी तथा स्तनी प्राणियों का वर्गीकरण उनके लक्षणों की जटिलता के आधार पर किया गया है।
- संयोजी कड़ियों का ज्ञान – जब किसी जीवधारी में दो समुदाय के लक्षण पाए जाते हैं तो उसे उन दो समूहों के मध्य की संयोजी कड़ी कहते हैं। इससे विकास-क्रम का ज्ञान होता है; जैसे आर्किऑप्टेरिक्स में सरीसृप तथा पक्षी वर्ग के लक्षण पाए जाते हैं। इसके आधार पर यह अनुमान लगाया गया कि पक्षियों की उत्पत्ति सरीसृप वर्ग के प्राणियों से हुई है।
- जलीय प्राणियों से स्थलीय प्राणियों के विकास का ज्ञान -वर्गीकरण के अध्ययन से ज्ञात होता है कि सरल जलीय जन्तुओं से बहुकोशिकीय जन्तुओं तथा स्थलीय जन्तुओं का विकास हुआ है। इसके अतिरिक्त वर्गीकरण के फलस्वरूप पर्यावरण पारितन्त्र के घटकों, कृषि एवं इसे हानि पहुँचाने वाले जीवों, रोगजनक, रोगवाहक जीवों , जनस्वास्थ्य के घटकों का अध्ययन करने में सुगमता होती है।