हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको मांग की लोच के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
मांग की लोच का अर्थ
मांग का नियम केवल गुणात्मक कथन है। वह वस्तु की कीमत एवं मांग मात्रा के बीच किसी परिमाणात्मक संबंध को व्यक्त नहीं करता। यह तो केवल इतना बताता है कि कीमत बढ़ने से मांग घटती है और कीमत में कमी होने से मांग बढ़ती है।
इस प्रकार यह नियम कीमत में परिवर्तन होने के परिणाम स्वरूप मांग में परिवर्तन की केवल दिशा बताता है लेकिन यह यह नहीं बताता की मांग में कितना परिवर्तन होता है। इस परिवर्तन की माप मांग की लोच द्वारा की जाती है।
मांग की लोच की प्रमुख परिभाषाएं
प्रो मार्शल के अनुसार-
"मांग की लोच का विचार, मूल्य में थोड़ा सा परिवर्तन होने से मांग की मात्रा पर जो प्रभाव पड़ता है, उससे संबंधित है।"
प्रो मेयर्स के अनुसार-
"किसी दिए हुए मांग वक्र पर मूल्य में होने वाले सापेक्षिक परिवर्तनों के फल स्वरुप क्रय की हुई मात्रा में परिवर्तन के माप को मांग की लोच कहते हैं"
प्रो केयरनक्रांस के अनुसार-
"किसी वस्तु की मांग की लोच वह दर है जिसके अनुसार मांग की मात्रा मूल्य परिवर्तनों के फलस्वरूप बदल जाती हैं।"
प्रो बोल्डिंग के अनुसार-
"किसी वस्तु की कीमत में 1% परिवर्तन होने से वस्तु की मांग में जो परिवर्तन होता है, उसे मांग की लोच कहते हैं।
मांग का नियम और मांग की लोच में अंतर
मांग का नियम कीमत तथा मांग के संबंध का एक गुणात्मक कथन है जो हमें कीमत में होने वाले परिवर्तनों के परिणाम स्वरूप मांग में होने वाले परिवर्तनों की दिशा के बारे में बताता है, यह हमें कीमत परिवर्तनों के परिणाम स्वरूप मांग में होने वाले परिवर्तनों की मात्रा या दर के बारे में कुछ नहीं बताता।
दूसरे शब्दों में, यह नियम वस्तु की कीमत तथा मांग मात्रा के बीच किसी मात्रात्मक संबंध की व्याख्या नहीं कर पाता। मांग के नियम की इस कमी को मांग की लोच की अवधारणा पूरा करता है।
मांग की लोच के रूप
आधुनिक अर्थशास्त्री मांग की लोच का व्यापक रूप से प्रयोग करते हैं। अर्थशास्त्रियों के अनुसार मांग की मूल्य कीमत- सापेक्षता के तीन प्रमुख रूप निम्नलिखित हैं-
1. मांग की कीमत लोच- "मांग की कीमत-लोच किसी वस्तु की कीमत में दिए हुए प्रतिशत परिवर्तन एवं उसकी मांग मात्रा में हुए प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात होती है"
2. मांग की आय लोच- जब उपभोक्ता की आय स्तर में परिवर्तन होने से उसकी मांग में भी परिवर्तन हो जाता है, वही मांग की आय लोच कहलाती है।
3. मांग की आड़ी लोच- जब दो वस्तुएं एक दूसरे की पूरक होती है तो उनमें से एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने पर दूसरी वस्तु की मांगी जाने वाली मात्रा भी परिवर्तित हो जाती है। यही मांग की आड़ी लोच कहलाती है।
मांग की लोच की श्रेणियां
सब वस्तुओं की मांग की लोच एक समान नहीं होती अर्थात कुछ वस्तुओं की मांग की लोच कम होती है और कुछ वस्तुओं की अधिक। सैद्धांतिक दृष्टि से मांग की लोच को निम्नलिखित 5 श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
- पूर्णतः लोचदार मांग
- अत्यधिक लोचदार मांग
- ऐकिक लोचदार मांग
- बेलोचदार मांग
- पूर्णतः बेलोचदार मांग