हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको पोषण के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
पोषण किसे कहते हैं?
पोषण आहार-तत्व सम्बन्धी विज्ञान है। यह एक नर्इ विचारधारा है, जिसका जन्म मूलत: शरीर विज्ञान तथा रसायन विज्ञान से हुआ है।
आहार तत्वों द्वारा मनुष्य के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन एवं विश्लेषण इसका मुख्य विषय है। दूसरे शब्दों में शरीर आहार सम्बन्धी सभी प्रक्रियाओं का नाम ही पोषण है।
मूलरूप से पोषण की परिभाषा इस तरह से दे सकते हैं, आहार, पोषण तत्व व अन्य तत्व उनका प्रभाव और प्रतिक्रिया तथा स्वास्थ्य व बीमारी से उसका सम्बन्ध व संतुलन का विज्ञान ही पोषण है।
यह उस क्रिया को बताता है जिसके द्वारा कोर्इ जीव भोजन ग्रहण कर, पचाकर, अवशोषित कर शरीर में उसका वितरण कर उसे शरीर में समावेशित करता है तथा अपचित भोजन को शरीर से बाहर निकालता है। इतना ही नहीं पोषण का सम्बन्ध भोजन व उस भोजन के सामाजिक, आर्थिक व मनोवैज्ञानिक प्रभावों से भी है।
पाचन और अवशोषण
जंतुओं का भोजन और पोषण -
पोषण की परिभाषा : वह सम्पूर्ण प्रक्रिया जिसके द्वारा जीवित जंतु भोजन प्राप्त करते है तथा इसका विभिन्न जैविक क्रियाओं में उपयोग करते है , पोषण कहलाता है।
पोषण के प्रकार : जन्तुओं में पोषण के दो आधारभूत तरीके पाए जाते है –
1. स्वपोषी पोषण : बहुत से जीव जैसे हरे पादप , कुछ बैक्टीरिया और कुछ प्रोटिस्ट सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइ ऑक्साइड और जल का उपयोग कर अपने शरीर में कार्बनिक भोजन बनाने की क्षमता रखते है। भोजन संश्लेषण का यह प्रक्रम प्रकाश संश्लेषण कहा जाता है और ये जीव स्वपोषी या फोटोट्रोफ (phototroph) कहलाते है। पोषण का यह तरीका स्वपोषी पोषण कहलाता है।
2. विषमपोषी पोषण : अधिकांश जीवों (सभी जन्तु , कवक व कुछ प्रोटिस्ट) में सूर्य ऊर्जा संचित करने की क्षमता नहीं पाई जाती। अत: ये अकार्बनिक पदार्थो से कार्बनिक भोजन नहीं बना सकते। इस प्रकार के प्राणी विषमपोषी कहलाते है। ये पहले से तैयार भोजन (रेडीमेड फ़ूड) पर (पादप , जन्तु व उनके उत्पाद) निर्भर रहते है तथा शरीर में भोजन के कार्बनिक पदार्थो के जलने से ऊर्जा प्राप्त करते है। पोषण की यह विधि विषमपोषी पोषण कहलाती है। विषमपोषी पोषण दो प्रकार होता है –
(a) प्राणी समभोजी पोषण : इसमें रेडीमेड भोजन की फीडिंग शामिल है। सभी प्राणी रेडिमेड भोजन प्राप्त करते है और सम्बंधित पाचन प्रणाली में पाचक एंजाइम की सहायता से जटिल कार्बनिक पदार्थो को सरल यौगिक में तोड़ कर उपयोग करते है।
भोजन की आदतों के आधार पर जंतुओं को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है –
(i) शाकाहारी : जो प्राणी पादपों से भोजन लेते है , उन्हें शाकाहारी प्राणी या जन्तु कहते है। उदाहरण : गाय , भैंस।
(ii) मांसाहारी : जो प्राणी अन्य जन्तुओ के मांस से भोजन लेते है उन्हें माँसाहारी कहते है। उदाहरण : शेर , चिता आदि।
(iii) सर्वाहारी : जो प्राणी पादप तथा जंतु दोनों से पोषण प्राप्त करते है उन्हें सर्वहारी कहा जाता है। उदाहरण : कौआ , मानव आदि।
(iv) मृतभक्षी : जो प्राणी मृत जंतुओं से भोजन लेते है उन्हें मृतभक्षी कहते है। उदाहरण : वल्चर (गिद्ध) आदि।
(b) मृतोपजीवी पोषण : इस प्रकार के पोषण में प्राणी घुलित कार्बनिक पदार्थो को शरीर सतह से अवशोषित कर लेते है। यह कवक तथा बैक्टीरिया का मुख्य लक्षण है।