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विभव को प्रभावित करने वाले कारक

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विभव को प्रभावित करने वाले कारक

विभव को प्रभावित करने वाले कारक

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको विभव को प्रभावित करने वाले कारक के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो। 

विभव को प्रभावित करने वाले कारक

विभव कारक- किसी चालक का विभव निम्नलिखित चार कारकों पर निर्भर करता है।

  1. चालक के आवेश पर
  2. चालक के आकार पर
  3. अन्य चालकों की उपस्थिति पर
  4. चालक के चारों ओर के माध्यम पर।

चालक के आवेश पर निर्भरता

किसी चालक पर जितना अधिक आवेश होता है, उसका उतना ही अधिक विभव होता है। चूंकि चालक पर आवेश जिस अनुपात में बढ़ाते हैं, उसके चारों ओर विद्युत क्षेत्र तीव्रता उसी अनुपात में बढ़ जाती है, अतः एकांक धन आवेश को अनंत से चालक तक लाने में उसी अनुपात में अधिक कार्य करना पड़ता है, फलतः चालक विभव भी उसी अनुपात में बढ़ जाता है, अर्थात् चालक का विभव, उसके आवेश के अनुक्रमानुपाती होता है।

चालक के आकार पर निर्भरता

किसी चालक पर आवेश का परिमाण नियत रखते हुए उसके पृष्ठ का आकार कम करने पर विभव बढ़ जाता है तथा आकार बढ़ाने पर विभव कम हो जाता है, अर्थात चालक का विभव, उसके आकार या त्रिज्या के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

अन्य चालकों की उपस्थिति पर निर्भरता

किसी आवेशित चालक के समीप कोई अनावेशित चालक लाने से चालक का विभव कम हो जाता है। इसे प्रयोग द्वारा देखने के लिए आप चित्र में देख सकते हैं कि एक चालक A को धनावेश से आवेशित करके स्वर्णपत्र विद्युतदर्शी G से सम्बन्धित कर देते हैं। विद्युतदर्शी की पत्तियां आवेशित चालक A के विभव कारक के कारण फैल जाती है।

 किसी आवेशित चालक के समीप कोई अनावेशित चालक लाने से चालक का विभव कम हो जाता है।

अब चालक A के समीप एक अनावेशित चालक B लाते हैं। हम देखते हैं कि अनावेशित चालक B को चालक A के समीप लाने में विद्युतदर्शी की पत्तियों का फैलाव कुछ कम हो जाता है। चालक B को चालक A के जितना समीप लाते हैं, पत्तियों का फैलाव उतना ही कम हो जाता है। 

इसका कारण यह है कि धनावेशित चालक A के पास रखें अनावेशित चालक B के समीप वाले सिरे पर प्रेरण द्वारा ऋणावेश तथा दूर वाले सिरे पर धन आवेश प्रेरित हो जाता है। अतः आवेशित चालक A के विद्युत क्षेत्र में चालक B के समीप वाले ऋणावेश के कारण कमी आ जाती है जिससे आवेशित चालक का विभव घट जाता है।

चालक के चारों ओर के माध्यम पर निर्भरता

चालक के चारों ओर कुचालक माध्यम की उपस्थिति में विभव घट जाता है। यदि किसी बिंदु सद्रश्य चालक पर आवेश + Q कूलाम है, तो उससे r मीटर दूरी पर वायु या निर्वात में स्थित किसी बिंदु पर विद्युत विभव

V = 1/4πε₀ Q/r वोल्ट

होता है। अब यदि चालक के चारों ओर वायु या निर्वात की बजाय कोई कुचालक माध्यम परावैद्युतांक K है, तो उस बिंदु पर विभव

V' = 1/4πε₀ वोल्ट

होता है। स्पष्ट है कि V' <V, अर्थात कुचालक माध्यम की उपस्थिति में विभव का मान घट जाता है।