हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको जल विभव के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
जल विभव क्या है?
जल विभव का निर्धारण उन चार घटको द्वारा होता है जो कि कोशिकाओं एवं उनके वातावरण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। ये घटक है- विलेय (solute), दाब (pressure), ठोस (solid) (विशेषकर छिद्रमय ठोस) (specially porous solid) एवं गुरुत्व (gravity)। जल पोटेंशियल वास्तव में विलेय पोटेंशियल अथवा परासरण, दाब गांव, मैट्रिक पोटेंशियल, व गुरुत्वाकर्षण विभव, के योग के बराबर होता है|
जल विभव (water potential) का प्रत्येक घटक क्रमशः विलेय, मैट्रिक एवं गुरुत्वाकर्षण (gravitation) के प्रभावो को दर्शाता है। जल पोटेंशियल के प्रत्येक घटक (component) का वर्णन निम्न प्रकार है।
विलेय विभव अथवा परासरण विभव
यह एक विलयन (solution) में विलेय द्वारा उत्पन्न पोटेंशियल को दर्शाता है तथा विलेय अणुओं (particle) की संख्या पर निर्भर करता है। विलेय पोटेंशियल (solubility) तथा इसका मान सदैव ऋणात्मक (अथवा शुद्ध जल में शून्य) होता है।
परासरण दाब
परासरण दाब (osmotic pressure) व विलेय विभव (solubility) अथवा परासरण विभव (osmotic potential) का मान एक ही होता है। इनमें केवल इतना अंतर है कि परासरण दाब (osmotic pressure) का मान धनात्मक होता है जबकि विलेय विभव अथवा परासरण विभव का मान ऋणात्मक चिन्ह द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि एक विलयन का परासरण दाब 15 atm है, तो उसका विलेय विभव अथवा परासरण विभव -15 atm होगा।
दाब विभव
वह द्रवस्थैतिक दाब (hydrostatic pressure) है जो पादप कोशिका में जल के प्रवेश के फलस्वरुप विकसित होता है। यह सामान्यतः धनात्मक होता है तथा जल विभव को बढ़ाता है, लेकिन जब यह ऋणात्मक (negative) होता है, तो जल-पोटेंशियल (water potential) को घटाता है।
गुरुत्वाकर्षण विभव
यह जल विभव पर गुरुत्व के प्रभाव को दर्शाता है। कोशिका स्तर पर जल परिवहन (water transport) के संदर्भ में गुरुत्वाकर्षण विभव प्रायः नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि इसका विलेय पोटेंशियल (परासरण विभव) एवं दाब विभव (pressure voltage) की तुलना में नगण्य होता है लेकिन मृदा (soil) में जल पोटेंशियल के मापन में गुरुत्वाकर्षण विभव (gravity potential) का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
मैट्रिक्स विभव
मैट्रिक्स शब्द का प्रयोग उन जलरागी कोलाइड्स (hydrophilic colloids) की सतहो (जैसे- मृदा कण, कोशिका भित्ति (cell wall), प्रोटीन, स्टार्च आदि) के लिए किया जाता है जिस पर जल अणुओं (water molecules) का अधिशोषण (adsorption) होता है। कोलाइड्स की सतह पर जल अणुओं का अधिशोषण इनकी अधिकांश ऊर्जा को घटा देता है जिसके फलस्वरूप मैट्रिक्स पोटेंशियल (matrix potential) विकसित होता है तथा यह ऋणात्मक होता है। मैट्रिक्स पोटेंशियल सूखे हुए पादप पदार्थों (Plant materials) (जैसे- सूखे बीज, लकड़ी) में तो महत्वपूर्ण होता है परंतु सजीव कोशिका (living cells) में इसका महत्व नहीं के बराबर होता है। चूंकि मैट्रिक्स विभव (matrix potential) का मान नगण्य होता है अतः जल विभव (water potential) के उपरोक्त समीकरण में इसे सामान्यतः नजरअंदाज कर दिया जाता है।