भारत का विशाल मैदान विश्व का सबसे अधिक उपजाऊ और घनी आबादी वाला भू-भाग कहलाता है। यह मैदान प्रायद्वीपीय भारत को बाह्य-प्रायद्वीपीय भारत से बिल्कुल अलग करता है।
हिमालय के निर्माण के बाद बना यह एक नवीनतम भूखंड है, जो सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का प्रमुख भाग (भौगोलिक दृष्टि से एक खण्ड) था, जिसे भारत-पाकिस्तान विभाजन के पश्चात् अलग कर दिया गया। पश्चिम में सिंधु नदी के मैदान का अधिकांश भाग और पूरब में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा का अधिकांश भाग वर्तमान भारत से अलग हो गया है।
यही कारण है कि शेष मैदान को भारत के विशाल मैदान के नाम से संबोधित किया जाता है, जिसमें सतलज व व्यास का मैदानी भाग, हैं। कई भारतीय विद्वानों द्वारा इस मैदान को विशाल मैदान के नाम से भी संबोधित किया गया है।
उत्तर के विशाल मैदान का आर्थिक महत्व
1-उत्तर का विशाल मैदान विश्व की समतल तथा सबसे अधिक उपजाऊ मैदानों में गिना जाता है।
2-यहां मैदान कृषि उत्पादन की दृष्टि से सर्वाधिक विकसित और संपन्न है।
3-अधिक उपजाऊ होने के कारण इस मैदान में भारत की लगभग 45 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।
4-यह मैदान प्राचीन काल से ही उद्योग, परिवहन, वाणिज्य व्यापार तथा प्राचीन भारतीय संस्कृति का केंद्र रहा है।
5-उत्तर का विशाल मैदान अधिक जनसंख्या की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सक्षम है।
6-यह मैदान अधिक जनसंख्या को आजीविका के साधन उपलब्ध कराने में सक्षम है।