स्थलीय पौधों में जल का अवशोषण जड़ों द्वारा होता है। जड़े मृदा के अंदर शाखित जड़ तंत्र (root system) का निर्माण करती है जिससे ये अधिक मात्रा में जल का अवशोषण कर सकें। किसी पौधे की जड़ मुख्यतः पांच क्षेत्रों में विभाजित होती है- मूलगोप क्षेत्र (zone of root cap), विभज्योतक क्षेत्र (zone of elongation), मूलरोम क्षेत्र (root hair zone) तथा परिपक्वन क्षेत्र (zone of maturation)। जल का अवशोषण जड़ के निचले भाग से होता है, परंतु सबसे अधिक अवशोषण मूलरोम क्षेत्र से होता है।
यह क्षेत्र जड़ के शीर्ष से 10 सेंटीमीटर पीछे तक होता है। इस क्षेत्र में जाइलम पूर्ण रूप से परिपक्वन नहीं होता है तथा बाहरीत्वचा तथा अन्तस्त्वचा (endodermis) पारगम्य होती है। मूलरोम एककोशिकीय होते हैं तथा बाहरीत्वचा की कोशिकाओं से उत्पन्न होते हैं। मूलरोम की लंबाई 1 से 10 मिलीमीटर तक हो सकती है। मूलरोम की कोशिका भित्ति की बाहरी परत पेक्टिक (pectic) तथा अंदर की परत सेल्यूलोज (cellulose) की बनी होती है।
जड़ में जल का मार्ग
जड़ों में जल मूलरोम की बाहरीत्वचा (Outer skin) की कोशिकाओं की भित्ति (dike) से प्रवेश करता है। यहां से जल वल्कुट की कोशिकाओं से होता हुआ अन्तस्त्वचा (Endoderm) तक पहुंचता है। अन्तस्त्वचा की मार्ग कोशिकाओं (passage cell) से होकर जल परिरम्भ (pericycle) व अंततः जाइलम में प्रवेश करता है। मृदा से सोखा गया जल जड़ों में तीन पथो से होकर जाइलम तक पहुंचाता है। एपोप्लास्ट पथ (Apoplast tract), सिमप्लास्ट पथ (Simplast Path) व धानी पथ (Marrow path) ।
एपोप्लास्ट पथ
एपोप्लास्ट पथ पौधे का अजीवित (निर्जीव) तंत्र है। यह मुख्य रूप से अतःसंबंधित (interconnected) कोशिका भित्ति का तंत्र है जो जड़ों की अन्तस्त्वचा में पाई जाने वाली कैस्पेरियन पट्टियों (casparian strips) को छोड़कर पूरे पौधे में फैला रहता है। जल का एपोप्लास्टिक परिवहन केवल कोशिका भित्ति से होकर होता है। जड़ों में अधिकतर जल परिवहन एपोप्लास्ट (apoplast) के द्वारा होता है। चूंकि वल्कुट कोशिकाएं (cells) ढीले रूप में व्यवस्थित होती है अतः जल की गति में किसी प्रकार का प्रतिरोध (resistance) उत्पन्न नहीं होता है।
सिमप्लास्ट पथ
सिमप्लास्ट पथ पौधे का जीवित तंत्र (living system) है। इसमें सभी कोशिकाओं का कोशिकाद्रव्य (cystoplasm) जीवद्रव्य तन्तुओ (plasmodesmata) के द्वारा अंतःसंबंधित रहता है। सिमप्लास्टिक परिवहन में जल कोशिकाओं (water cells) के जीवद्रव्य तथा जीवद्रव्य तंतुओं के माध्यम से आगे बढ़ता है। यह परिवहन अपेक्षाकृत (relatively) धीमा होता है तथा सक्रिय जल अवशोषण (water absorption) के दौरान पाया जाता है।
धानी पथ
एपोप्लास्टिक परिवहन (apoplastic transport) वल्कुट के बाद अन्तस्त्वचा में पाई जाने वाला कैस्पेरियन पट्टियों (Casperian straps) के कारण रुक जाता है क्योंकि जल के अणु (water molecules) इन पट्टियों को भेदने में असमर्थ होते हैं। अतः अन्तस्त्वचा के बाद जल बलपूर्वक कोशिका झिल्ली से होकर गति करता है। जल का यह परिवहन धानी पथ (vacuolar pathway) अथवा ट्रांन्समैंब्रेन पथ (transmembrane pathway) कहलाता है। इस पथ में जल धानी को घेरे हुए टोनोप्लास्ट (tonoplast) से भी होकर पार हो सकता है।