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भारत की प्रमुख रेशेदार फसलें कौन सी हैं?

भारत की प्रमुख रेशेदार फसलें कौन सी हैं?

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको रेशेदार फसल के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।

ऋतुओ के आधार पर फसलो का वर्गीकरण

रबी की फसल– शीत ऋतु की फसलें रबी कहलाती है। इन फसलों की बुआई के समय कम तापमान तथा पकते समय खुश्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है। यह फसल अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती है । मार्च-अप्रैल में काटी जाती है । जैसे- गेहूं, जौ, चना, मटर, सरसों, आलू, राई इत्यादि ।

खरीफ की फसल–  वर्षा ऋतु की फसलें खरीफ कहलाती हैं। इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं आर्द्रता तथा पकते समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है। यह फसल जून-जुलाई में बोई जाती है और नवंबर-दिसंबर में काट ली जाती है । जैसे- धान, गन्ना, तिलहन, कपास, मक्का, तिल, ज्वार, बाजरा इत्यादि ।

जायद की फसल–  खरीफ और रबी की फसलों के बाद संपूर्ण वर्ष में कृत्रिम सिंचाई के माध्यम से कुछ क्षेत्रें में जायद की फसल उगाई जाती है। इस वर्ग की फसलों में तेज गर्मी और शुष्क हवाएँ सहन करने की अच्छी क्षमता होती हैं। मार्च से अप्रैल के मध्य बोई जाती हैं एवं जुन-जुलाई में काटी जाती हैं। इसके अंतर्गत सब्जियां, मक्का, खरबूज, तरबूह, अरबी, तरककड़ी, भिंड़ी आदि आती हैं।

 शीत ऋतु की फसलें रबी कहलाती है। इन फसलों की बुआई के समय कम तापमान तथा पकते समय खुश्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है।

नकदी फसल– वह फसल जो व्यापार के उद्देश्य से किसानों द्वारा की जाती है । वे फसलें जिन्हें उगाने का मुख्य उद्देश्य व्यापार करके धन अर्जित करना होता है। जिसे किसान या तो संपूर्ण रूप से बेच देते हैं या फिर आंशिक रूप से उपयोग करते है तथा शेष बड़ा हिस्सा बेच देते हैं। नगदी फसल को व्यापारिक फसलें भी कहते है
जैसे- कपास, गन्ना, तंबाकू, जूट इत्यादि।

भारत की प्रमुख रेशेदार फसलें

भारत एक कृषि-प्रधान देश है, जहाँ विविध प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। इनमें से रेशेदार फसलें भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिनका उपयोग वस्त्र, रस्सी, और अन्य उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। आइए जानते हैं, भारत की कुछ प्रमुख रेशेदार फसलों के बारे में।

कपास (Cotton)

कपास भारत में उगाई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण रेशेदार फसल है। यह वस्त्र उद्योग का मुख्य आधार है। भारत के गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान जैसे राज्य कपास के प्रमुख उत्पादक हैं।

जूट (Jute)

जूट को 'सोनाली फाइबर' के नाम से भी जाना जाता है। भारत जूट का एक प्रमुख उत्पादक देश है, खासकर पश्चिम बंगाल, असम, और बिहार राज्य। जूट से बोरे, रस्सी, और अन्य वस्त्र सामग्री बनाई जाती है।

सन (Flax)

सन की फसल मुख्य रूप से इसके रेशों और बीजों के लिए उगाई जाती है। इसके रेशों से लिनन वस्त्र बनाए जाते हैं, जबकि बीजों का उपयोग तेल निकालने और खाने में किया जाता है।

हेम्प (Hemp)

हेम्प का उपयोग रस्सी, कपड़े, और कागज बनाने में होता है। यह एक तेजी से बढ़ने वाली फसल है और इसे विविध जलवायु परिस्थितियों में उगाया जा सकता है।

रामी (Ramie)

रामी एक और महत्वपूर्ण रेशेदार फसल है, जिसका उपयोग वस्त्र निर्माण में होता है। यह फसल उच्च गुणवत्ता के रेशे प्रदान करती है जिसे लिनन के समान उपयोग में लाया जाता है।

निष्कर्ष

भारत में रेशेदार फसलों की खेती न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन में भी योगदान देती है। ये फसलें न सिर्फ किसानों के लिए आय का स्रोत हैं बल्कि वस्त्र उद्योग सहित अनेक उद्योगों के लिए कच्चे माल का काम भी करती हैं। इस प्रकार, रेशेदार फसलें भारतीय कृषि और उद्योग के विकास में एक अहम कड़ी साबित होती हैं।