हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको विद्युत विभवांतर के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
विद्युत विभवांतर के बारे में
किसी विद्युत क्षेत्र में दो बिंदुओं के बीच विभवांतर, किसी परीक्षण आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक लाने में किये गये कार्य तथा परीक्षण आवेश के मान की निष्पत्ति (achievement) के बराबर होता है।
विभवांतर का मात्रक
विभवांतर भी आदिश राशि है। विभवांतर का भी एस आई मात्रक जूल/कूलाम या वोल्ट व संकेत V है। इसका विमीय सूत्र ML²T⁻³A⁻¹ है। सी जी एस मात्रक V = q/r स्थैत वोल्ट (हवा या निर्वात में)। इसी प्रकार, बिंदु आवेश -q कूलाम के कारण दूरी r मीटर पर वायु में विद्युत विभव।
एक बिंदु आवेश के कारण विभव
किसी बिंदु आवेश के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र में स्थित किसी बिंदु पर विद्युत विभव ज्ञात करने के लिए हमें उस कार्य की गणना करनी होती है, जो अल्प परीक्षण आवेश को अनंत से उस बिंदु तक लाने में करना पड़ता है। इस किये गये कार्य तथा परीक्षण आवेश के परिणाम की निष्पत्ति को उस बिंदु पर विद्युत विभव कहते हैं।
जैसा कि आप चित्र में देख रहे हैं कि O पर एक बिंदु आवेश q रखा है जिसके कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र में एक परीक्षण आवेश q₀ को बिंदु A से बिंदु B तक दूरी dr विस्थापित किया जाता है। बिंदु A पर परीक्षण आवेश q₀ पर विद्युत क्षेत्र के कारण लगने वाला बल
F = q₀ E
अब परीक्षण आवेश q₀ को विद्युत क्षेत्र की दिशा के विपरीत विस्थापन dr करने में किया गया कार्य
dw = F.dr = F dr cos 180⁰ = – F dr = – q₀E dr
चूंकि बल F तथा विस्थापन dr परस्पर विपरीत दिशा में है, अतः इनके बीच कोण 180⁰ होगा।
चूंकि परीक्षण आवेश को अनंत से बिंदु A जीसकी आवेश q से दूरी r है, तक लाने में किया गया कुल कार्य
W∞→r = ∫ʳ∞ q₀E dr
अब चूंकि बिंदु आवेश q के कारण इससे दूरी q पर उत्पन्न विद्युत क्षेत्र E = 1/4πε = q/r²
W∞→ = ∫ʳ∞ 1/4πε₀→qq₀/r²dr = – qq₀/4πε₀ →(-1/r)ʳ∞ = qq₀/4πε₀ʳ
अब परिभाषानुसार बिंदु A पर विभव Vₐ = W∞→r/q₀ = qq₀/4πε₀ʳ /9₀ या Vₐ = 1/4πε₀ q/r वोल्ट। किसी माध्यम जिसका परावैधुतांक K है, में विभव Vₐ = 1/4πε₀ q/Kr वोल्ट
दो बिंदुओं के बीच विभवांतर
अब यदि परीक्षण आवेश का विद्युत क्षेत्र E की दिशा के विपरित विस्थापन dr करें तो हमे प्रतिकर्षण बल F के विरुद्ध कार्य करना पड़ेगा।
किसी विद्युत क्षेत्र में किन्ही दो बिंदुओं के बीच विद्युत विभवांतर केवल उन बिंदुओ की स्थिति पर निर्भर करता है। चूंकि विद्युत क्षेत्र में किसी आवेश को एक बिंदु से दूसरी बिंदु तक ले जाने में किया गया कार्य, को ले जाने वाले मार्ग पर निर्भर नहीं करता है, केवल उन बिंदुओं की स्थिति पर निर्भर करता है, अतः विद्युत क्षेत्र एक संरक्षी क्षेत्र है।
अब यदि दो बिंदुओं के बीच विभांतर V वोल्ट है तो आवेश q कूलाम को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किया गया कार्य W = qV जूल
यदि धनावेश निम्न विभव से उच्च विभव पर जाता है तो कार्य, आवेश द्वारा किया जाता है जिससे उसकी गतिज ऊर्जा घटती है और यदि धनावेश उच्च विभव से निम्न विभव पर जाता है तो कार्य, विद्युत क्षेत्र द्वारा किया जाता है जिससे आवेश की गतिज ऊर्जा बढ़ती है।
विद्युत विभवांतर का महत्व
- ऊर्जा परिवर्तन - विद्युत विभवांतर विद्युत ऊर्जा को अन्य रूपों में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को सक्षम बनाता है, जैसे कि मैकेनिकल, थर्मल, या प्रकाश ऊर्जा।
- विद्युत उपकरणों का संचालन - अधिकांश विद्युत उपकरण और मशीनें निश्चित विद्युत विभवांतर पर काम करती हैं। इसका सही मान उपकरणों के सुचारू संचालन और दीर्घायु के लिए आवश्यक होता है।
- विद्युत परिपथों का डिजाइन - विद्युत विभवांतर की समझ विद्युत परिपथों के डिजाइन और विश्लेषण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह निर्धारित करता है कि परिपथ में विद्युत ऊर्जा कैसे प्रवाहित होगी।
विशेषताएं
- दिशात्मकता - विद्युत विभवांतर हमेशा दो बिंदुओं के बीच मापा जाता है और इसमें दिशा होती है - उच्च विभव से निम्न विभव की ओर।
- पोटेंशियल एनर्जी - यह विद्युत पोटेंशियल एनर्जी के अंतर को दर्शाता है, जिसका उपयोग विद्युत आवेश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरित करने में होता है।
निष्कर्ष
विद्युत विभवांतर विद्युत विज्ञान की एक मूलभूत अवधारणा है जो विद्युत ऊर्जा के प्रवाह और परिवर्तन को समझने में मदद करती है। इसकी गहराई से समझ विद्युत इंजीनियरिंग, उपकरणों के डिजाइन, और ऊर्जा प्रबंधन में अत्यंत महत्वपूर्ण है। विद्युत विभवांतर की माप और नियंत्रण से हम उपकरणों को अधिक कुशलतापूर्वक और सुरक्षित रूप से संचालित कर सकते हैं, जिससे हमारी दैनिक जीवनशैली और औद्योगिक प्रक्रियाएं बेहतर बनती हैं।