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पेट्रोलियम क्या है? | What is petroleum in hindi?

पेट्रोलियम क्या है? | What is petroleum in hindi?

नमस्कार दोस्तों, आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि भारत में पेट्रोलियम कहां से आता है? और किन किन देशों से भारत पेट्रोलियम को आयात करता है? और आज के समय में पेट्रोलियम का भारत में कितना इस्तेमाल किया जाता है? उसका क्या महत्व है? इन सभी की जानकारी के लिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

पेट्रोलियम एक जीवाश्म ईंधन है जो पृथ्वी की सतह के नीचे पाया जाता है। यह मुख्यतः हाइड्रोकार्बन के यौगिकों से मिलकर बना होता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के कार्बनिक पदार्थ जैसे कि लाखों वर्षों पहले मरे हुए माइक्रोऑर्गेनिज्म, पौधे और जानवर शामिल होते हैं। इन पदार्थों का क्षय और उच्च तापमान तथा दबाव के परिणामस्वरूप पेट्रोलियम बनता है।

पेट्रोलियम किसे कहते है?

पेट्रोलियम लेटिन भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “चट्टानों का तेल” भू-गर्भ में चट्टानों से निकाले जाने के कारण इसे पेट्रोलियम कहते हैं। इसी को कच्चा तेल भी कहते है।

इसकी उत्पत्ति भू-गर्भ में दबी हुई वनस्पति और जल जीवो की रासायनिक परिवर्तनों के कारण आसमान क्रिया के फल स्वरुप हुई है। मशीनों तथा वाहनों में पेट्रोलियम चालक शक्ति के रूप में प्रयुक्त की जाती है। भूगर्भ से निकले कच्चे तेल में अनेक अशुद्धियां मिली होती है।

भारत में पेट्रोलियम कहाँ पाया जाता है?

भारत में, पेट्रोलियम या कच्चा तेल ज्यादातर मुंबई, गुजरात और असम, गोदावरी और कृष्णा के नदी घाटियों में जो पृथ्वी की सतह के नीचे बड़ी मात्रा में पाया जाता है और अक्सर रासायनिक उद्योग में ईंधन या कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है।

भारत में पेट्रोलियम कहाँ से आता है?

भारत अपना अधिकांश तेल रूस, इराक और सऊदी अरब जैसे देशो से आयात किया जाता हैं।

भारत अपना अधिकांश तेल रूस, इराक और सऊदी अरब जैसे देशो से आयात किया जाता हैं।

भारत में पेट्रोलियम क्षेत्र कौन-कौन से है?

भारत में पेट्रोलियम एसे कई राज्य है जहां पेट्रोलियम है। जैसे की असम, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश आदि। ओर सभी राज्यों ओर इनकी कच्चे तेल की उत्पादन छमता कितनी है। 

भारत में पेट्रोलियम वितरण का वर्णन

भारत में पेट्रोलियम मध्यजीव और तृतीय महाकल्प काल के अवसादी चट्टानों वाले क्षेत्रों में मिलता है, जो कभी छिछले समुद्र में डूबे हुए थे। भारत में अनुमानतः 15 लाख वर्ग कि.मी. तेल-क्षेत्र है । भारत का तेल-क्षेत्र गंगा-ब्रह्मपुत्र घाटी, अपतटीय महाद्वीपीय शेल्फ के साथ-साथ दोनों तटवर्ती प्रदेश, गुजरात के मैदान, थार मरुस्थल और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में फैला हुआ है।

1956 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग ;व्छळब्द्ध की स्थापना के बाद भारत में विस्तृत एवं व्यवस्थित रूप से तेल की खोज एवं उत्पादन की शुरूआत हुई। आजादी के समय तक देश में केवल असम के दिगबोई में ही तेलशोधक कारखाना था।

तेल का यह कुआँ छोटा होते हुए भी 100 वर्ष तक लगातार चलनेवाला एकमात्र कुआँ है। आजादी के बाद गुजरात के मैदान और कैम्बे की खाड़ी में पेट्रोलियम का भंडार खोजा गया । लेकिन, तेल का सबसे बड़ा भंडार अप्रत्याशित रूप से बंबई से 115 कि.मी. दूर समुद्र में मिला, जिसे बंबई हाई के नाम से जाना जाता है । यह देश में अब तक प्राप्त सबसे बड़ा तेल का भंडार है।

1-वितरण

भारत में कुल पेट्रोलियम उत्पादन का 63% भाग मुंबई हाई से 18% गुजरात से 16% असम से प्राप्त होता है स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व मात्र असम राज्य में ही खनिज तेल का खनन है स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व मात्र असम राज्य में ही खनिज तेल का खनन किया जाता है असम में डिगबोई और मून हुगृजन महत्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र है

2-प्राकृतिक गैस

प्राकृतिक गैस के भंडार स्वतंत्र एवं प्राकृतिक तेल के भंडार के साथ भी मिलते हैं। किंतु प्राकृतिक गैस का अधिकांश उत्पादन प्राकृतिक तेल के भंडारों के साथ ही हो रहा है। प्राकृतिक गैस के भंडार त्रिपुरा, राजस्थान के साथ-साथ गुजरात के कैंबे की खाडी, बंबई हाई, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश और उड़ीसा के अपतटीय क्षेत्रों में पाये गये हैं। देष में 647 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस के भण्डार होने का अनुमान है।

भारत जैसे ऊर्जा की कमी वाले देशों के लिए प्राकृतिक गैस एक प्राकृतिक वरदान है। इसे ऊर्जा के स्रोत के रूप में (ताप-ऊर्जा के रूप में) और पेट्रो-रसायन उद्योग के लिए कच्चा माल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है । प्राकृतिक गैस वाले ऊर्जा-संयंत्र को बनाने में समय भी कम लगता है। भारत में प्राकृतिक गैस पर आधारित उर्वरक संयंत्र लगाकर भारतीय कृषि को प्रोत्साहन दिया जा सकता है।

अंत में 

पेट्रोलियम का उपयोग विभिन्न प्रकार के ईंधन जैसे कि पेट्रोल (गैसोलीन), डीजल, जेट फ्यूल, हीटिंग ऑयल और भी कई तरह के पेट्रोकेमिकल प्रोडक्ट्स बनाने में होता है, जिनका उपयोग दवाईयों, प्लास्टिक्स, कृषि रसायनों, सॉल्वेंट्स और भी अनेक उत्पादों के निर्माण में होता है।

पेट्रोलियम की खोज और निष्कर्षण विशेष भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा किया जाता है, और इसे रिफाइनरीज में शुद्ध करके विभिन्न उपयोगी उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है। हालांकि पेट्रोलियम आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसका जलना पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जैसे कि वायु प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देना। इसलिए, वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।