हेलो, दोस्तों आपका स्वागत है हमारी वेबसाइट पर। आज हम आपको बताएंगे बिंदु दोष किसे कहते हैं इसलिए आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
बिंदु दोष से आप क्या समझते हैं?
किसी क्रिस्टल में परमाणु या आयनों की नियमित (regular) व्यवस्था में विचलन होने पर उत्पन्न दोष को बिंदु दोष कहते हैं। परमशून्य (absolute zero) तापक्रम पर ठोसो कि क्रिस्टलो में उनकी रचक इकाइयों (आयन, परमाणु(atomic), या अणुओ (molecule) की व्यवस्था क्रमबद्ध होती है। क्रिस्टल (crystal) में यह व्यवस्था निम्नतम ऊर्जा (lowest energy) व्यवस्था के संगत होती है।
जैसे-जैसे क्रिस्टल का ताप (heat) बढ़ाया जाता है, वैसे-वैसे क्रिस्टल में रचकों की क्रमबद्ध व्यवस्था में विचलन (deviation) होने लगता है। इस प्रकार पूर्ण रूप से सही क्रिस्टल में विचलन के फलस्वरुप दोष (defect) अथवा अपूर्णता आ जाती है।
यह दोष (defects) अथवा अपूर्णता (imperfections) ऊष्मागतिकी दोष (thermodynamic defects) कहलाते हैं, क्योंकि ये ताप पर आधारित होते हैं। कभी-कभी क्रिस्टलो में अशुद्धियों के कारण भी योगात्मक दोष उत्पन्न हो जाते हैं, जिन्हें अशुद्धि दोष (impurity defects) कहते हैं।
क्रिस्टलो में दोष अथवा अपूर्णता के कारण पदार्थ के गुणों में केवल रूपांतरण ही नहीं होता बल्कि कुछ नये गुण भी उत्पन्न हो जाते हैं। अनेक गुणों जैसे वैधुत चालकता (electric conductivity) तथा यांत्रिकीय शक्ति (Mechanical strength) को इन दोषों तथा अपूर्णताओ (incompleteness) के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है। क्रिस्टलो में पाए जाने वाले विभिन्न दोषों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक दोष (electronic defects)
- बिंदु दोष (point defects)