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औद्योगिकरण का मानव पर प्रभाव

औद्योगिकरण का मानव पर प्रभाव

औद्योगिक कारखानों से निकलने वाले गेसै वायु प्रदूषण करती है इससे अम्ल वर्षा तथा ग्रीन हाउस प्रभाव को बढ़ने में भी सहायक मिलती है प्रदूषित वायु अनेक लोगों ने सहायक होती हैं वायु प्रदूषण से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी मैं भी कमी आती है प्रदूषक हम पदार्थों में दुआ कार्बन सल्फर सीसा आदि के कारण हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण

वर्तमान समय में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या अन्तरराष्ट्रीय समस्या है। प्रदूषण एक ऐसी अवांछनीय एवं असामान्य स्थिति है, जिसमें भौतिक, रासायनिक तथा जैविक परिवर्तनों के फलस्वरूप वायु, जल तथा मृदा अपनी गुणवत्ता खो देते हैं तथा वे जीव जगत के लिये हानिकारक सिद्ध होने लगते हैं।

औद्योगिकरण का मानव पर प्रभाव

औद्योगिकरण ने मानव सभ्यता की प्रगति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ औद्योगिक क्रांति का युग, मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। इसने न केवल उत्पादन की प्रक्रियाओं और कार्य संस्कृति को बदल दिया, बल्कि समाज और पर्यावरण पर भी व्यापक प्रभाव डाला है। यहाँ औद्योगिकरण के मानव पर कुछ प्रमुख प्रभावों का विश्लेषण किया गया है -

आर्थिक प्रभाव

  • रोजगार सृजन - औद्योगिकरण ने बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित किए, जिससे श्रमिक वर्ग का उदय हुआ।
  • आर्थिक विकास - उद्योगों के विकास ने आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया, जिससे देशों की जीडीपी में वृद्धि हुई।

सामाजिक प्रभाव

  • शहरीकरण - औद्योगिकरण ने ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की ओर बड़े पैमाने पर पलायन को प्रेरित किया, जिससे शहरों में जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण में तेजी आई।
  • सामाजिक वर्गीकरण - औद्योगिक समाज में सामाजिक वर्गीकरण अधिक स्पष्ट हुआ, जिससे सामाजिक असमानताएं बढ़ीं।

पर्यावरणीय प्रभाव

  • प्रदूषण - औद्योगिक क्रियाकलापों से वायु, जल और मिट्टी प्रदूषण में वृद्धि हुई, जिससे पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हुआ।
  • जैव विविधता में कमी - औद्योगिक विकास ने प्राकृतिक आवासों को नष्ट किया, जिससे जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • श्रमिकों की स्वास्थ्य समस्याएं - औद्योगिक श्रमिकों को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, जैसे कि श्वास संबंधी रोग और श्रम संबंधी चोटें।
  • जीवन शैली में परिवर्तन - औद्योगिकरण ने लोगों की जीवनशैली में परिवर्तन किया, जिससे गतिहीन जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतें बढ़ीं।

औद्योगीकरण की विशेषताएँ

औद्योगीकरण में मुख्य रूप से निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं -

  1. औद्योगीकरण उत्पादन की एक प्रक्रिया है, जिसका विकास धीरे-धीरे होता है।
  2. औद्योगीकरण के कारण राष्ट्र में नये-नये उद्योगों की स्थापना तीव्र गति से होती है।
  3. औद्योगीकरण मानवीय शक्ति की अपेक्षा मशीनी शक्ति पर बल देता है।
  4. औद्योगीकरण में मशीनों का संचालन कोयला, खनिज तेल अथवा विद्युत-शक्ति द्वारा किया जाता है।
  5. औद्योगीकरण की प्रमुख विशेषता श्रम-विभाजन और विशिष्टीकरण है।
  6. औद्योगीकरण तीव्र गति से सस्ते और बड़े पैमाने के उत्पादन पर बल देता है।
  7. औद्योगीकरण की प्रमुख विशेषता नवीनतम वैज्ञानिक विधियों तथा उत्पादन की नवीनतम तकनीक के प्रयोग पर बल देना है।
  8. औद्योगीकरण प्राकृतिक संसाधनों के अधिकतम तथा योजनाबद्ध दोहन पर बल देता है।
  9. औद्योगीकरण के फलस्वरूप प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है, जो आर्थिक विकास की परिचायक है।
  10. औद्योगीकरण राष्ट्र के सामाजिक और आर्थिक ढाँचे में आमूल-चूल परिवर्तन करता है।
  11. औद्योगीकरण के कारण वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होने से प्राचीन मान्यताएँ ध्वस्त हो जाती हैं।
  12. औद्योगीकरण पूँजीवाद का जनक है। इसके फलस्वरूप श्रमिक वर्ग और पूँजीपति वर्ग जन्म लेते हैं।
  13. औद्योगीकरण की एक प्रमुख विशिष्टता राष्ट्रीय व्यापार और उद्योगों में होने वाली भारी वृद्धि
  14. औद्योगीकरण का क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय बाजार होने के कारण यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों की स्थापना करने में सक्षम होता है।
  15. औद्योगीकरण के कारण राष्ट्र को समूचा विनिर्माण, उद्योगों तथा अर्थव्यवस्था को परिवेश परिवर्तित हो जाता है।

निष्कर्ष

औद्योगिकरण ने मानव समाज पर गहरा और व्यापक प्रभाव डाला है। जहां इसने आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा दिया है, वहीं इसने सामाजिक असमानताओं, पर्यावरणीय संकट और स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दिया है। इसलिए, टिकाऊ विकास और पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में कदम उठाना आवश्यक है ताकि औद्योगिकरण के सकारात्मक प्रभावों का लाभ उठाया जा सके और इसके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके।