हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको परासरण दाब के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
परासरण दाब के बारे में
"वह अधिकतम दाब जो एक अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली (semi-permeable membrane) द्वारा विलयन घोल को उसके शुद्ध विलायक (pure solvent) से पृथक करने पर विलयन में उत्पन्न होता है, परासरण दाब (osmotic pressure) कहलाता है।"
किसी भी विलयन का परासरण दाब (osmotic pressure) विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के सीधे समानुपाती (proportionate) होता है। विलयन में विलेय के अणुओं (particle) की संख्या जितनी अधिक होगी, विलयन (solution) का परासरण दाब (osmotic pressure) उतना ही अधिक होगा। यद्यपि सभी प्रकार के विलयनो (घोलो) का परासरण दाब (osmotic pressure) होता है लेकिन उसे केवल तभी प्रदर्शित किया जा सकता है जब विलयन को शुद्ध जल (अथवा विलायक) से अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक कर दिया गया हो।
उदाहरण के लिए, किसी बर्तन (container) में रखा विलयन तब तक परासरण दाब प्रदर्शित नहीं करता है जब तक एक अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली इसे शुद्ध जल (विलायक) से पृथक नहीं करती है, अर्थात अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली (semi-permeable membrane) के दोनों ओर के जल के विसरण दाब में अंतर के कारण परासरण दाब (osmotic pressure) उत्पन्न होता है। यह उस दाब के बराबर होता है जो परासरण के द्वारा विलायक के अणुओं (particle) को विलयन में जाने से रोकने हेतु बाहर से लगाया जाता है।
स्फीति दाब
पादप कोशिका के बाहर सेल्यूलोज की बनी एक दृढ़ कोशिका भित्ति तथा इसके अंदर प्लाज्मा झिल्ली पायी जाती है। जब कोई पादप कोशिका शुद्ध जल में रखी जाती है। तो अंतःपरासरण द्वारा जल कोशिका के अंदर प्रवेश करने लगता है क्योंकि कोशिका में कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) की परासरण सांद्रता अधिक होती है। इसके परिणामस्वरूप कोशिकाद्रव्य पर दाब पड़ने लगता है। जल प्रवेश के साथ-साथ जल दाब (water pressure) बढ़ता जाता है तथा अंदर से बाहर की ओर कोशिका भित्ति (Cell wall) पर पड़ता है। कोशिकाद्रव्य (cystoplasm) द्वारा कोशिका भित्ति पर पड़ने वाले इस दाब को स्फीति दाब (turgor pressure) कहते हैं। ऐसी कोशिकाओं को स्फीत कोशिकाएं (turgid cells) तथा इनकी दशा को स्फीत दशा (turgidity) कहते हैं।
भित्ति दाब
सेल्यूलोज की बनी कोशिका लचीली होती है तथा स्फीत दशा में कोशिकाद्रव्य पर दाब डालती है। कोशिका भित्ति द्वारा कोशिकाद्रव्य पर उत्पन्न इस दाब को को भित्ति दाब (wall pressure) कहते हैं। कोशिका द्वारा जल के अवशोषण (absorption) से जैसे-जैसे स्फीति दाब (inflation pressure) बढ़ता है, उसी के साथ भित्ति दाब (wall pressure) भी बढ़ता जाता है। धीरे-धीरे एक ऐसी अवस्था उत्पन्न हो जाती है जब भित्ति दाब, परासरण दाब के बराबर हो जाता है यह कोशिका की वह अवस्था है। यह कोशिका की वह अवस्था है जब अंतःपरासरण रुक जाता है अर्थात सामान्यवस्था (equilibrium stage) आ जाती है। ऐसी कोशिका को पूर्ण स्फीत (fully turgid) कोशिका कहते हैं। कोशिका की श्लथ (flaccid) अवस्था को छोड़कर, भित्ति दाब सामान्यतः स्फीति दाब के सामान (बराबर) परंतु विपरीत होता है।
विसरण दाब न्यूनता
"किसी विलयन के विसरण दाब (diffusion pressure) तथा उसके शुद्ध विलायक (Pure solvent) के विसरण दाब के अंतर को विसरण दाब न्यूनता (Diffusion pressure reduction) कहते है।"
बी.एस. मेयर (B. S. Mayer ) ने सर्वप्रथम 1938 में विसरण दाब (diffusion pressure, DP) एवं विसरण दाब न्यूनता (Diffusion pressure deficit, DPD) के विषय में बताया। विसरण दाब न्यूनता विलयन में जल (विलायक) का गुण होता है, परंतु सामान्यतः इसे विलयन/कोशिका (cell) की विसरण दाब न्यूनता (DPD) कहते हैं।
विसरित (diffusing) कणों द्वारा उत्पन्न दाब को विसरण दाब (DP) कहते हैं। यह दाब विसरित कणों की सांद्रता के सीधे समानुपाती होता है। शुद्ध जल अथवा शुद्ध विलायक का विसरण दाब सदैव अधिकतम होता है, जब इसमें विलेय की कुछ मात्रा मिलायी जाती है तो शुद्ध जल अथवा विलायक के विसरण दाब में कमी (deficit) आ जाती है अर्थात शुद्ध विलायक तथा उसके विलयन के विसरण दाबो (Diffusion pressure) में अंतर पाया जाता है। विसरण दाब न्यूनता (Diffusion pressure reduction) को निम्न प्रकार परिभाषित कर सकते हैं।
चूषण दाब
जब विलयन के विसरण दाब (Diffusion pressure) में कमी आ जाती है, तो वह जल (विलायक) के अधिक अणुओं को अवशोषित (absorbed) करके इस कमी को पूरा करता है अर्थात विसरण दाब न्यूनता (diffusion pressure reduction) से विलयन की जल अवशोषण क्षमता (water absorbing capacity) का पता चलता है। इसलिए विसरण दाब न्यूनता (DPD) को चूषण दाब (suction pressure) अथवा चूषण बल (suction force) भी कहते हैं।
किसी स्वतंत्र विलयन (non-confined solution) में विसरण दाब न्यूनता का मान विलयन के परासरण दाब (OP) के बराबर होता है। किंतु किसी बंद विलयन (confined solution) जैसे कोशिका में परासरण के दौरान स्फीति दाब (TP) भी उत्पन्न होता है, अतः विसरण दाब न्यूनता का मान = OP - TP होता है।
विसरण दाब न्यूनता (diffusion pressure reduction) = परासरण दाब (osmotic pressure) - स्फीति दाब (भित्ति दाब)
DPD = OP - TP (WP)
जिस समय तक स्फीति दाब (inflation pressure), परासरण दाब से कम होगा, कोशिका (cell) में जल का प्रवेश विसरण दाब न्यूनता (diffusion pressure reduction) शून्य होने तक होता रहेगा अर्थात इस समय जल का प्रवेश परासरण दाब (osmotic pressure) पर निर्भर न होकर, विसरण दाब न्यूनता पर निर्भर होता है।
नोट- किसी पदार्थ का रासायनिक विभव (chemical potential) पदार्थ की कार्य करने की क्षमता का मापन है। पदार्थ की प्रति मोल (Mole) स्वतंत्र ऊर्जा उसका रासायनिक विभव कहलाती है। किसी दिए हुए विलयन में जल का रासायनिक विभव (chemical potential) ही जल विभव (Water potential) कहलाता हैं।
पौधो में परासरण का महत्व
- पौधे मृदा से जल का अवशोषण मूलरोमों (root hairs) की सहायता से परासरण द्वारा ही करते हैं।
- स्टोमेटा (stomata) के खुलने व बंद होने की क्रिया परासरण (Osmosis) द्वारा प्रवाहित होती है।
- पौधों के अंदर जल का एक कोशिका (cell) से दूसरी कोशिका में जाना पड़ा परासरण (osmosis) द्वारा ही होता है।
- उच्च परासरण सांद्रता पौधों में हिमकारी ताप (freezing temperature) तथा निर्जलीकरण (dehydration) के प्रति प्रतिरोध बढ़ाती है।
- फलों तथा बीजाणुधानियो (sporangium) के फटने में परासरण (osmosis) की क्रिया सहायक होती है।