हम अपने आसपास कई चीजें पा सकते हैं, पहाड़ों और समुद्रों से लेकर पौधों और जानवरों तक। जिस धरती में हम रहते हैं वह कई चीजों से बनी है। इन “चीजों” को दो अलग-अलग प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है – सजीव और निर्जीव चीजे।
सजीव (living) की परिभाषा –
सजीवों की पहचान उनके अभिलक्षणों यथा, प्रजनन, प्रचलन, वृद्धि, श्वसन, उत्सर्जन, मृत्यु आदि से करते हैं। सजीव वस्तुओं के नाम – गाय, कुत्ता , बिल्ली , इंसान ,गिलहरी। निर्जीव में जीवन नहीं रहता है। निर्जीव गति, प्रजनन, प्रचलन, वृद्धि, श्वसन, उत्सर्जन आदि नहीं करते हैं।
पृथ्वी पर पाये जाने वाले वे समस्त जीव जिनमे जीवन पाना जाता है। और जिनमे जीवन उपयोगी सभी महत्वपूर्ण क्रियाएं जैसे स्वसन, पोषण प्रजनन वृद्धि आदि क्रियाएं होती है। सजीव कहलाते है। इनमे सभी प्रकार के पेड-पौधे, जीव-जन्तु, पशु- पक्षी सूक्ष्मजीव तथा मनुष्य भी शामिल है।
निर्जीव (non-living) की परिभाषा –
निर्जीव वस्तुओं को भोजन की आवश्यकता नहीं होती है। श्वसन, उत्सर्जन, पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया, प्रजनन, वृद्धि ,गति एवं मृत्यु आदि निर्जीव वस्तुओं के लक्षण नहीं है।
पृथ्वी पर पाई जाने वाली वे सभी चीजे जिनमे जीवन नहीं पाया जाता। जिनमे जीवन उपयोगी आवश्यक जैसे श्वशन, प्रजनन, भोजन, वृद्धि नहीं होती है वे सभी निर्जीव हैं। निर्जीव को हम दो भागों में बांट सकते हैं।
सजीवों के प्रमुख लक्षण (sajeev ke Pramukh lakshan)
भोजन (Food)
सभी सजीवो को कार्य करने की ऊर्जा भोजन से ही प्राप्त होती है। भोजन सजीवो मे पाया जाने वाला एक विशेष गुण है। पौधे अपना भोजन स्वयं (प्रकाश – सश्लेषण द्वारा) बना लेते हैं। जबकि अन्य जीव भोजन के लिये पौधों या दूसरे जन्तुओ पर निर्भर होते है।
श्वसन (Respiration)
सभी सजीवो को जीवित रहने लिये ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जो हमे वायुमंडल से प्राप्त होती है। ऑक्सीजन को ग्रहण करना तथा CO2 छोड़ने की प्रक्रिया श्वसन कहलाती है।
वृद्धि (Growth)
सभी सजीवो में वृद्धि होती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनका शारीरिक और मानसिक विकास होता है। जबकि निर्जीवों मे ऐसा कुछ नहीं होता वे हमेशा एक जैसे ही रहते हैं।
प्रजनन (Reproduction)
सभी सजीवो में प्रजनन का गुण पाया जाता है। उनमे अपने समान नये जीव उत्पन्न करने की क्षमता पाई जाती है। जिससे वे अपने ही जैसे और जीव पैदा करते हैं।
उत्सर्जन (Excretion)
जीवधारियों में विभिन्न क्रियाओ के फलस्वरूप हानिकारक व अनावश्यक पदार्थ बनते है। जिनको वे अपने शरीर से विकसित करते रहते हैं। यह क्रिया जीवो मे निरन्तर व जीवन पर्यन्त चलती रहती है।
निर्जीव के प्रमुख लक्षण (nirjiv ke Pramukh lakshan)
प्राकृतिक (Natural)
इसके अन्दर वे सारी निर्जीव चीजे आती है। जो प्रकृति द्वारा निर्मित है। जैसे पर्वत, आकाश, तारे गृह, सूर्य, हवा, पानी,आग, पत्थर आदि।
मानव निर्मित या कृत्रिम (Artifishial)
इसके अंदर वे सभी वस्तुये आती है। जिनका निर्माण इसके अन्दर मानव द्वारा किया जाता है। जैस- टेबल, कुर्सी, कम्प्यूटर, मोबाइल, कार, रोबोट आदि।
पानी एक जीवित चीज है हाँ या नहीं
निर्जीव वस्तुएँ निर्जीव वस्तुएँ या शक्तियाँ हैं जो किसी आवास को प्रभावित करने, आकार देने, बदलने और उसके जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं। निर्जीव चीजों के कुछ उदाहरणों में चट्टानें, पानी, मौसम, जलवायु और प्राकृतिक घटनाएं जैसे चट्टानें या भूकंप शामिल हैं।