Warning: session_start(): Session cannot be started after headers have already been sent in /home/u261050532/domains/10th12th.com/public_html/tf-config.php on line 72
समय का सदुपयोग पर निबंध | samay ka sadupyog par nibandh

Warning: session_start(): Session cannot be started after headers have already been sent in /home/u261050532/domains/10th12th.com/public_html/tf-library/tf-dev-user-login-signup.php on line 6
Cart (0) - ₹0
  1. Home
  2. / blog
  3. / samay-ka-sadupyog-par-nibandh

समय का सदुपयोग पर निबंध | samay ka sadupyog par nibandh

समय का सदुपयोग पर निबंध | samay ka sadupyog par nibandh

संकेत-बिन्दु – (1) समय: जीवन की अमूल्य निधि, (2) समय का सदुपयोग आवश्यक, (3) समय का सम्मान, (4) निष्कर्ष।

समय: जीवन की अमूल्य निधि

समय जीवन में सर्वोपरि है। यह जीवन की अमूल्य निधि है। समय का सदुपयोग जीवन को अमूल्य बना देता है। किसी विचारक का कहना है— “यदि जीवन से प्रेम है तो समय व्यर्थ मत गँवाओ।” समय को नष्ट करना जीवन को नष्ट करना है। संसार का कोई भी धन परिश्रम से कमाया जा सकता है, उसका संग्रह किया जा सकता है किन्तु जीवन का कोई भी पल व्यतीत हो जाने के बाद वापस नहीं लाया जा सकता।

समय को रोका भी नहीं जा सकता। समय का चक्र अनवरत घूमता रहता है। हम चाहकर भी ईश्वर के दिए जीवन – काल को एक पल के लिए भी नहीं बढ़ा सकते। समय के महत्त्व को रेखांकित करती लेखक श्रीमन्नारायण की ये पंक्तियाँ द्रष्टव्य हैं— “समय धन से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है।

हम रुपया-पैसा तो कमाते ही हैं और जितना अधिक परिश्रम करें उतना ही अधिक कमा सकते हैं । परन्तु क्या हजार परिश्रम करके चौबीस घण्टों में एक भी मिनट बढ़ा सकते हैं? इतनी मूल्यवान् वस्तु का धन से क्या मुकाबला।’

समय का सदुपयोग आवश्यक

समय को रोका नहीं जा सकता इसलिए इसका सदुपयोग परम आवश्यक है। “कबीरदासजी का यह दोहा यहाँ बड़ा सटीक है”।

काल्ह करै सो आज कर आज करै सो अब
पल में परलै होयगी बहुरि करैगो कब॥

काम को समय के अन्दर निपटाना समय का सदुपयोग है। जो समय को नष्ट करते हैं, बाद में समय उन्हें नष्ट कर देता है।

समय का सम्मान

समय परिवर्तनशील है, चलता रहता है, कभी नहीं रुकता, इसलिए समय का सम्मान सदा करना चाहिए। भविष्य की योजना बनाकर उचित समय पर उसे पकड़ लेना चाहिए। एक बार कोई अवसर हाथ से निकल जाता है तो शायद ही वह पुनः आए। समय ऐसा राक्षस है जो महत्त्व न देनेवालों के जीवन में अवसरों के शव डाल जाता है। उचित समय पर उचित कार्य करना श्रेयस्कर है।

निष्कर्ष

सूर्य यदि दिन में समय पर ताप न दे और चन्द्रमा रात में शीतलता न दे तो प्रकृति का सारा चक्र उलट जाए। अपने जीवन को सही दिशा देने के लिए समय का महत्त्व समझना आवश्यक है अन्यथा महाविनाश के लिए तैयार रहना चाहिए।