हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको जर्मनी का एकीकरण के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
1848 ई के बाद जर्मनी की दशा
फ्रैंकफर्ट की संधि की असफलता ने जर्मनी ने उदार वादियों की आशाओं पर पानी फेर दिया और वह बहुत निराश हो गई एकीकरण के सभी प्रयत्नों की असफलता ने जर्मनी की राष्ट्रीय भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई 1849 ईस्वी मेंजर्मन देश भक्तों ने प्रसाद के नेतृत्व में जर्मनी का एकीकरण करने का प्रयास किया परंतु प्रसाद ए राजा ने जर्मनी का ताज ग्रहण करने से इनकार कर दिया क्योंकि उसका विचार था कि ऐसा करने से उसे आस्ट्रेलिया से युद्ध अवश्य करना पड़ेगा अतः जर्मनी में पून निरंकुश शासन प्रणाली स्थापित हो गई।
प्रशा के राजा की प्रयास
इस समय प्रशा का राजा फ्रेडिक विलियम चतुर्थ था फ्रैंकफर्ट की राष्ट्रीय सभा भंग होने के बाद उसने जर्मनी के एकीकरण का प्रयास किया उसने बवेरिया हनोवर तथा आदि जर्मन राज्यों से संधि करके अरफात मैं एक जर्मन संघ का निर्माण किया ऑस्ट्रिया ने प्रसा के इस कार्य का विरोध किया और स्थिति यह हो गई।
कि ऑस्ट्रिया और प्रशा में युद्ध श्री जाने की संभावना दिखाई पड़ने लगी ऑस्ट्रेलिया के विरोध को देखकर बवेरिया तथा सेक्स सनी के राजाओं ने भारतीय होकर जर्मन संघ की सदस्यता त्याग दी अंत में प्रसा के राजा ने भी नवंबर 1850 ईस्वी में नियंत्रण स्थापित हो गया लेकिन जर्मनी के देशभक्त यह समझ गए कि प्रशा का राजा जर्मनी के एकीकरण के पक्ष में है परंतु ऑस्ट्रेलिया के विरोध के कारण बहुत जर्मनी का एकीकरण नहीं कर पा रहा है और तभी ऑस्ट्रेलिया के शत्रु बन गई और उनकी सहानुभूति प्रसा के राजा के प्रति हो गई।
प्रशा की शक्ति का उत्थान
प्रशा के राजा फ्रेडिक विलियम चतुर्थ मस्तिष्क की बीमारी के कारण 2 जनवरी 18 सो 61 ईस्वी को परलोक सिधार गये और उसका भाई विलियम प्रथम जो 1858 यीशु यीशु रिजल्ट का कार्य कर रहा था प्रसाद का सम्राट बना।
अतः विलियम प्रथम ने सर्वप्रथम प्रशा की सैन्य शक्ति का विस्तार करना आरंभ किया इसी समय 1862 इसी में उसने बिस्मार्क को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया बिस्मार्क बड़ा योग्य तथा दृढ़ निश्चय का व्यक्ति था उसने प्रधानमंत्री बनते ही प्रसाद के निम्न सदन की उपेक्षा करके विलियम प्रथम की सुधारवादी योजनाओं को सफल बनाना शुरू कर दिया।
बिस्मार्क की नीति
बिस्मार्क रक्त और लौह की नीति का अनुगामी था वह बड़ा साहसी और निर्भीक व्यक्ति था उसने प्रधानमंत्री बनते समय किसी के समक्ष नर आत्मक न होने की प्रतिज्ञा की थी उसने अपनी योग्यता से विलियम प्रथम और संसद के उच्च सदन का सर्वप्रथम प्राप्त कर लिया था राज्य की कार्यपालिका और सेना पर उसका पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो चुका था।
बिस्मार्क द्वारा जर्मनी का एकीकरण
बिस्मार्क महान कूटनीतिक तथा उसने प्रसाद का सैन्य संगठन सब्जेक्ट करके अपनी जर्मनी का एकीकरण करने का निश्चय किया फ्रांस को पराजित करके बिस्मार्क ने जर्मनी का एकीकरण पूर्ण कर दिया 18 जनवरी 18 से 71 ईसवी को वर्साय की 30 महल में प्रसाद के सम्राट विलियम प्रथम को महान जर्मन साम्राज्य का सम्राट घोषित किया गया।