हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको विद्युत आवेश तथा विद्युत के बारे में जानकारी देने वाला हूँ। यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो। विद्युत क्षेत्र तथा आवेश स्थिर विद्युततिकी (Electrostatic) का ही भाग है, अतः आपको यह चैप्टर समझने से पहले शब्द "स्थिर वैद्युततिकी" को समझना होगा।
स्थिर विद्युततिकी
Electrostatic = आवेश+स्थिर (Electro+Static)
परिभाषा:- विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत स्थिर आवेशों (charge) का अध्ययन किया जाता है, स्थिर वैद्युततिकी (Electrotechnology) कहलाती है।
विद्युत आवेश
विद्युत क्षेत्र (electric field) तथा आवेश पदार्थ का वह गुण है जिसकी उपस्थिति में वह पदार्थ(material) किसी अन्य वस्तु पर बल(force) अनुभव कराता है।
उदाहरण:- यदि किसी आवेशित छड़ को कागज के टुकड़ों के पास लाया जाता है तो कागज के टुकड़े उस छड़ में चिपक जाते हैं जबकि बिना आवेशित छड के नहीं चिपकते।
वैधुत आवेश:- 1. धनावेश 2. ऋणावेश।
- विद्युत आवेश की एस आई इकाई(SI Unit) कूलाम (C) होती है।
- यह एक आदेश राशि हैं।
- आवेश = धारा × समय (Q = It )
जहां I = धारा (एंपियर में), Q = आवेश (कूलाम में), t= समय (सेकंड में)।
उदाहरण:- यदि किसी तार में 4 कूलाम आवेश 2 सेकंड के लिए बढ़ता है तो धारा का मान ज्ञात कीजिए?
हम जानते है- Q = It, I = Q/t, I = 4/2, (I = 2A) यहां:- [Q = 4C t = 2Sec]
उदाहरण:- विद्युत क्षेत्र आवेश का विमीय सूत्र लीजिए
हम जानते हैं- Q = It – यहां धारा(I) तथा समय (t) मूलभूत राशियां है अतः इनकी Unit सूत्र में रखने पर।
[Q] = [A' T'] उत्तर
घर्षण द्वारा आवेशन
आवेशन की इस स्थिति में दो पदार्थों (material) को आपस में रखकर दूर-दूर ले जाते हैं, जिससे दोनों पदार्थों पर अलग-अलग प्रकृति (nature) तथा 'समान परिमाण' का आवेश उत्पन्न हो जाता है।
- किस पदार्थ पर धनात्मक (positive) प्रकृति का आवेश उत्पन्न होगा तथा किस पर ऋणात्मक (negative) प्रकृति का यह पदार्थों के गुणधर्म पर निर्भर करता है।
उदाहरण:- कांच की छड़ को रेशम (silk) के कपड़े से रगड़ने पर: –कांच की छड़- (positive), रेशम का कपड़ा (negative)।
चालन द्वारा आवेशन
आवेशन की इस विधि में किसी एक आवेशित (charged) वस्तु को अनावेशित वस्तु (item) से स्पर्श कराकर अनावेशित वस्तु को आवेशित (charged) किया जाता है।
प्रेरण द्वारा आवेशन
यदि किसी आवेशित वस्तु को किसी अनावेशित वस्तु के समीप (बिना स्पर्श किए) लाए तो अनावेशित वस्तु की पास वाली सतह पर विपरीत प्रकृति का आवेश एवं दूर वाली सतह पर समान प्रकृति का आवेश(charge) उत्पन्न हो जाता है। इस घटना को 'स्थिर विद्युत प्रेरण' (Static electrical induction) कहा जाता है।
उदाहरण:- एक गोले को प्रेेेेेेेेेेेरण (induction) द्वारा धनावेशित कैसे कर सकते हैं? या गोले (Circle) को प्रेरण द्वारा आवेशित करने की विधि।
उत्तर- (स्टेप 1.) गोले को धनावेशित (positive) करना है, इसलिए हम सर्वप्रथम विपरीत आवेशित (negative) वस्तु गोले के पास लायेगे।
2. जैसे ही हम ऋणावेशित छड़ (negative rods) को अनावेशित गोले के पास ले जायेगे वैसे ही प्रेरण (induction) के नियमनुसार गोले के पास वाली सतह पर धनावेश (positive) (छड़ पर उपस्थित आवेश का विपरीत) तथा दूर वाली सतह पर ऋणावेश (negative) आ जायेगा।
स्टेप 3. चूंकि अब गोले पर धनावेश तथा ऋणावेश (positive and negative) दोनों है जबकि हम गोले को धनावेशित करना है अतः हमें ऋणावेश (negative) को हटाने के लिए गोले को भू-संपर्ककृत (Land contact) करना पड़ेगा। जिससे ऋणावेश (negative) भूमि में चला जायेगा और धनावेश गोले पर रह जायेगा।
स्टेप 4. अब हमारा गोला धनावेशित (positive) हो चुका है अतः हम भू-संपर्ककृत हटा लेंगे और ऋणावेशित छड़ (negative rods) को भी दूर ले लेंगे।
वैद्युत आवेश के प्रकार
यह मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं, जोकि निम्न प्रकार से हैं-
धनावेश
किसी वस्तु पर धनावेश (positive), उसकी सामान्य अवस्था से इलेक्ट्रॉन (electron) की कमी को प्रदर्शित करता है।
ऋणावेश
किसी वस्तु पर ऋण आवेश(negative charge), उसकी सामान्य अवस्था से इलेक्ट्रॉन (Electron) की अधिकता को प्रदर्शित करता है।
नोट:- सजातिय (समान प्रकृति के) आवेश में हमेशा प्रतिकर्षण (Repulsion) तथा विजातिया (विपरीत प्रकृति में) आवेशों में हमेशा आकर्षण (attraction) होता है।
विद्युत आवेश के मूलभूत गुण
इसके गुण निम्न प्रकार से हैं-
आवेशों की योग्यता
आवेश द्रव्यमान की भांति आदेश राशि होती है, विभिन्न प्रकार के आवेशों (Charges)को एक साथ जोड़ने के लिए बीजगणितीय योग किया जाता है।
उदाहरण:- माना किसी निकाय में आवेश क्रमशः -2μc + 2μc + 4μc उपस्थित है तो निकाय का कुल आवेश बताओ?
उत्तर:- हम जानते हैं कि आवेशों का बीजगणितीय (algebraic) (चिन्ह के साथ) योग होता है।
अतः कुल आवेश (Q = -2μc) + (+2μc) + (+4μc) = -2μc + 2μc + 4μc = [Q = +4μc]
आवेश संरक्षण
प्रकृति में पाया जाने वाला कुल आवेश हमेशा संरक्षित रहेगा, अर्थात आवेश (Charges) को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है। और ना ही नष्ट किया जा सकता है इसे केवल एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानांतरित (Moved) किया जा सकता है यह विद्युत क्षेत्र (electric field) तथा आवेश के अन्तर्गत आता है।
आवेश का क्वांटमिकरण
किसी आवेशित (Charged) वस्तु पर आवेश एक न्यूनतम आवेश(e) के पूर्ण गुणक (Multiplier) के रूप में ही हो सकता है, अर्थात आवेश को अनिश्चित रूप से विभाजित (Split) नहीं किया जा सकता है।
अतः किसी वस्तु पर आवेश⇒[Q = ±ne] जहां- n= 0,1,2,3.... , e= 1.67×10-19 कूलॉम
अर्थात न्यूनतम संभव स्थानांतरण आवेश 1e = 1.6 x 10-19 कूलॉम होगा।
नोट:- आवेश सदैव द्रव्यमान (mass) से सम्बन्धित है अर्थात बिना द्रव्यमान के आवेश (charge) का कोई अस्तित्व नहीं है अर्थात यदि किसी वस्तु (object) पर आवेश उपस्थित है तो उस वस्तु का कुछ न कुछ द्रव्यमान है। लेकिन द्रव्यमान (mass) आवेश से सम्बन्धित नहीं भी हो सकता, अर्थात यदि किसी वस्तु (object) का द्रव्यमान है तो यह आवश्यक नहीं की उस पर आवेश उपस्थित हो।
उदाहरण:- न्यूट्रॉन (Neutron) का द्रव्यमान है पर आवेश शून्य होता है। नोट:- स्थिर अवस्था में आवेश विद्युत क्षेत्र (electric field) उत्पन्न करता है।एक समान वेग से गतिशील विद्युत क्षेत्र तथा आवेश तथा चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) दोनों उत्पन्न करता है। त्वरित गति से गतिमान विद्युत क्षेत्र तथा आवेश (Charge), चुंबकीय क्षेत्र के साथ साथ विद्युत चुंबकीय विकिरण भी उत्सर्जित करता है।