हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको विनिमय के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
विनिमय किसे कहते हैं?
विनिमय का अर्थ-साधारण शब्दों में दो पक्षियों के बीच होने वाले वस्तुओं व सेवाओं के हस्तांतरण (अदल-बदल) को को विनिमय कहते हैं। मार्शल के अनुसार, दो पक्षों के मध्य होने वाले धन के ऐच्छिक , वैधानिक एवं पारस्परिक हस्तांतरण को ही विनिमय कहते हैं।
विनिमय की विशेषताएं
उपयुक्त परिभाषा के आधार पर विनिमय की निम्नलिखित विशेषताएं स्पष्ट होती हैं।
1-विनिमय क्रिया में दो पक्ष होने चाहिए-एक वस्तु को देने वाला और दूसरा वस्तु को लेने वाला।
2-दोनों पक्षों के मध्य धन का हस्तांतरण होना चाहिए।यो यो हस्तांतरण परस्पर समझौते के आधार पर होना चाहिए।
3-धन का हस्तांतरण पूर्णता ऐच्छिक होना चाहिए। इसमें किसी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए।
4-धन का हस्तांतरण वैधानिक होना चाहिए।
उदाहरण-यदि वकुल अपने मित्र से Rs. 1 देकर कॉपी लेता है। तो यह क्रिया विनिमय कहलाएगी, क्योंकि इसमें धन का हस्तांतरण हुआ है, और यह हस्तांतरण ऐच्छिक , वैधानिक तथा पारस्परिक है। किंतु यदि वकुल धमकी देकर काफी छीन लेता है। तो यह विनिमय नहीं होगा, क्योंकि यह हस्तांतरण ऐच्छिक वैधानिक एवं पारस्परिक नहीं है।
विनिमय के लिए आवश्यक शर्तें
विनिमय की क्रिया के लिए निम्नलिखित बातों का होना आवश्यक है।
1-एक व्यक्ति के पास वस्तु की मात्रा उसकी आवश्यकता से अधिक होनी चाहिए।
2-कम से कम दो पक्ष होने चाहिए।
3-दोनों पक्षों के पास दो या दो से अधिक वस्तुएं होनी चाहिए।
4-दोनों पक्षों को एक दूसरे की वस्तुएं की आवश्यकता होनी चाहिए।
5-विनिमय कार्य से दोनों पक्षों को लाभ होना चाहिए।