हेलो दोस्तों मेरा नाम है भूपेंद्र और आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि हमें संसद की आवश्यकता क्यों है इसलिए आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और ऐसी ही जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएं जिसका लिंक आपको इस आर्टिकल के नीचे मिल जाता है।
संसद किसे कहते हैं?
संसद केंद्र सरकार का विधायी अंग है। संसदीय प्रणाली, जिसे सरकार का वेस्टमिंस्टर माडल" भी कहते हैं, अपनाने के कारण भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद एक विशिष्ट व केंद्रीय स्थान रखती है।संविधान के पांचवें भाग के अंतर्गत अनुच्छेद 79 से 122 में संसद के गठन, संरचना, अवधि, अधिकारियों, प्रक्रिया, विशेषाधिकार व शक्ति आदि के बारे में वर्णन किया गया है।
संसद की आवश्यकता
किसी भी देश में कानून बनाने का सबसे बड़ा अधिकार संसद को होता है। संपूर्ण विश्व की संसदे नए कानून बना सकती है। वर्तमान कानूनों में संशोधन कर सकती है और उन्हें समाप्त कर सकती है।
संपूर्ण विश्व में संसद सरकार चलाने वालों को नियंत्रित करने के लिए कुछ अधिकारों का प्रयोग करती हैं। हमारे देश में संसद को सीधा और पूर्ण नियंत्रण प्राप्त है।
सरकार के पास जो धन होता है उस पर संसद का नियंत्रण होता है। अधिकांश देशों में संसद की स्वीकृति के बाद ही सार्वजनिक धन का व्यय किया जा सकता है।
सार्वजनिक मामलों और किसी देश की राष्ट्रीय नीति पर चर्चा और बहस के लिए संसद ही सर्वोच्च संघ है। संसद किसी भी मामलों में सूचना मांग सकती है।
संसद की आवश्यकता के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण-
संसद एक लोकतांत्रिक देश की केंद्रीय विधायिका होती है, जो नागरिकों की इच्छा और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती है। संसद की आवश्यकता के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:
1. कानून निर्माण
संसद कानून निर्माण की प्रक्रिया को अंजाम देती है। यह नए कानूनों को बनाने, संशोधित करने या पुराने कानूनों को रद्द करने का काम करती है, जो समाज के विकास और जनता की भलाई के लिए जरूरी होते हैं।
2. सरकार की जवाबदेही
संसद सरकार को जवाबदेह बनाती है। सरकार को अपने कार्यों और नीतियों के लिए संसद के समक्ष जवाबदेह होना पड़ता है, जिससे लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
3. जनता का प्रतिनिधित्व
संसद जनता का प्रतिनिधित्व करती है। संसदीय सदस्य विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों से चुने जाते हैं, जो जनता की आवाज़ को सरकार तक पहुँचाने का काम करते हैं।
4. नीति निर्धारण
संसद देश की नीतियों के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, विदेश नीति आदि के क्षेत्र में नीतियों का निर्माण और संशोधन करती है।
5. वित्तीय अधिकार
संसद के पास वित्तीय अधिकार होते हैं। यह सरकारी खर्च की मंजूरी देने, टैक्स लगाने या संशोधित करने और राष्ट्रीय बजट को मंजूरी देने का काम करती है।
6. सामाजिक समावेश
संसद सामाजिक और आर्थिक समावेश को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह विभिन्न समुदायों और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करती है और उन्हें समाज में समान अवसर प्रदान करती है।
संसद एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का आधार होती है, जो शासन के तीनों स्तंभों - विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका - के बीच संतुलन स्थापित करती है और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करती है।